जौ एक उपयोगी अन्न है और इसका उपयोग औषधि के रूप मे किया जा सकता है . जौ के निम्न औषधीय गुण है -
1-थोड़ा सा जौ कूट कर पानी में भिगो दें. कुछ समय के बाद पानी निथर जाने पर उसे गरम करके उसके कूल्ले करे. इससे शीघ्र ही गले की सूजन दूर हो जायेगी. जौ का आटा पानी में घोलकर मस्तक पर लेप करने से मस्तिष्क की पित्त के कारण हूई पीड़ा शांत हो जाती है.
2-तिल के तेल में जौ के दानों को भूनकर जला लें. तत्पश्चात् पीसकर जलने से उत्पन्न हुए घाव या छालों पर इसे लगायें, आराम हो जायेगा. अथवा जौ के दाने अग्नि में जलाकर पीस लें. वह भस्म तिल के तेल में मिलाकर रोगी स्थान पर लगानी चाहियें.
3-जौ का पानी पीने से पथरी निकल जायेगी. पथरी के रोगी जौ से बने पदार्थ लें.
4-जौ को पानी भीगोकर, कूटकर, छिलका रहित करके उसे दूध में खीर की भांति पकाकर सेवन करने से शरीर पर्यात हूष्ट पुष्ट और मोटा हो जाता है.
5- गर्मी के कारण शरीर में जलन हो रही हो, आग सी निकलती हो तो जौ का सत्तू खाने चाहिये. यह गर्मी को शान्त करके ठंडक पहूचाता है और शरीर को शक्ति प्रदान करता है.