फिर सलाखों के पीछे पहुंचा 'पत्थरबाजों का सरदार' मसरत
फिर सलाखों  के पीछे पहुंचा 'पत्थरबाजों का सरदार' मसरत
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जम्मू : वर्ष 2010 में कश्मीर में हुए तनाव और हिंसा के पीछे मुख्य भूमिका निभाने के आरोपी अलगाववादी नेता मसरत आलम की गुरुवार को  उच्च न्यायालय  से हुई रिहाई होने के तुरंत बाद उसे दूसरे मामले फिर गिरफ्तार कर  सलाखों   के पीछे भेज दिया.

गौरतलब है कि हुर्रियत कांफ्रेंस के कट्टरपंथी नेता मसरत आलम को अप्रैल, 2015 से लोक सुरक्षा कानून (पीएसए )के तहत जेल में बंद किया गया था. आलम पर आरोप है कि उसके द्वारा भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान के साथ लगी सीमा (नियंत्रण रेखा) पर तीन नागरिकों के कथित फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने के बाद भारत विरोधी हिंसक प्रदर्शन का आयोजन किया था.इस गिरफ्तारी के खिलाफ उसने कोर्ट में केस दर्ज कराया था. जिसमें जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के जज मुजफ्फर हुसैन अत्तार ने आलम के पीएसए हिरासत आदेश को मंगलवार को खारिज कर दिया. अत्तार ने मसर्रत की हिरासत को कई बुनियाद पर गैरकानूनी करार दिया था.अदालत ने पिछले सप्ताह सुनवाई के दौरान फैसला सुरक्षित रखा था.कल कठुआ जिला जेल से रिहा किया गया,लेकिन एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि तुरंत एक और मामले में उसे गिरफ्तार कर लिया गया.

आपको बता दें कि मसरत आलम को अलगाववादी हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी का बेहद करीबी माना जाता है. मसरत 2008-10 में राष्ट्रविरोधी प्रदर्शनों को लीड करता रहा है. बता दें कि उस दौरान पत्थरबाजी की घटनाओं में 112 लोगों की मौत हो गई थी. मसरत के खिलाफ देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने सहित कई मामले दर्ज थे. उसे चार महीनों की तलाश के बाद अक्टूबर 2010 में दबोचा गया था. मसरत पर संवेदनशील इलाकों में भड़काऊ भाषण देने के आरोप भी लग चुके हैं.

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