नांदेड़: मस्जिद पर लाउडस्पीकर बजाने को लेकर महाराष्ट्र में राजनीति तेज होती जा रही है। दूसरी तरफ नांदेड़ जिले के मुदखेड़ तहसील के बारड़ ग्राम पंचायत ने बगैर किसी समस्या तथा बिना किसी विवाद के 5 वर्ष पूर्व मंदिर-मस्जिद-बुद्ध विहार में लाउडस्पीकर बजाने पर पाबंदी लगाई जा चुकी है। मतलब बारड़ ऐसा गांव है, जहां लाउडस्पीकर नहीं बजता है।
वही नांदेड़ जिले के बारड़ ग्राम पंचायत ने धार्मिक एकता को लेकर नई मिसाल पेश की है। बारड़ गांव एक खुशहाल और आर्थिक तौर पर समृद्ध गांव है, जहां पर केले, गन्ने के साथ सब्जियां तथा फूलों की पैदावार के प्रत्येक वर्ष नए कीर्तिमान बनते रहते हैं। चारों तरफ केले के बगान तथा गन्ने के खेते से घिरे इस गांव की आबादी लगभग 15 हजार है।
वही बारड़ गांव में सभी जाति-धर्म के लोग आपस में मिलजुलकर रहते आ रहे हैं। इस गांव में 15 हिन्दू मंदिर, बौद्ध विहार, जैन मंदिर तथा मस्जिद है। 2018 में सभी धार्मिक स्थलों पर 24 घंटे बज रहे लाउडस्पीकर से हो रहे ध्वनि प्रदूषण से पूरा गांव ग्रसित था, इसलिए गांव के सभी धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर बजाने पर पाबंदी लगा दी। इसका सकारात्मक नतीजा आज नजर आ रहा है। सर्वधर्मसमभावकी मतलब गंगा जमुना की तहजीब का गौरव बढ़ाने वाले यहां के सभी समुदायों के अनुयायियों ने धार्मिक एकता की अनूठी मिसाल पेश की है। यहां के जामा मस्जिद के मौलवी मोहम्मद रजा हों या गांव के सरपंच बालासाहेब देशमुख सभी गांव के निर्णय से खुश हैं।
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