राष्ट्रगान के सम्मान में खड़े होना जरुरी है या नही, क्या कहता है कानून ?
राष्ट्रगान के सम्मान में खड़े होना जरुरी है या नही, क्या कहता है कानून ?
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नई दिल्ली : मुंबई के एक थिएटर में मूवी देख रहे लोगो को इसलिए बाहर खदेड़ा गया क्यों कि वो लोग राष्ट्र गान के दौरान खड़े नही हुए। इन दिनों इससे संबंधित वीडियो को सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है। इसके बाद से ही इस पर बहस छिड़ गई क्या राष्ट्रगान के सम्मान में खड़ा होना जरुरी है। अगर कोई ऐसा नही करता तो क्या हो सकता है। इस मामले में कानून में क्या प्रावधान है।

The Prevention of Insults to National Honour Act, 1971 के सेक्शन 3 के तहत यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रगान गाए जाने के दौरान किसी प्रकार का गतिरोध उत्पन्न करता है तो उसे सजा हो सकती है, जिसे तीन साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है। साथ ही जुर्माने का भी प्रावधान है या फिर दोनो लगाया जा सकता है।

इस मामले में सीनियर एडवोकेट इकबाल चागला का कहना है कि मुझे नही लगता कि यह कोई कानूनी मसला है। यह कोई अपराध नही है और न ही इसके लिए कोई एक्ट है, जो यह तय करे कि खड़ा होना चाहिए या नही। सिर्फ एक ही कानून है, जो इसके लिए लागू होता है और वो है--The Prevention of Insults to National Honour Act, 1971।

दूसरी ओर गृह मंत्रालय ने 5 जनवरी 2015 को इस संबंध में नोटिस जारी कर सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि जब कभी भी राष्ट्र गान गाया या बजाया जाए तो उसके सम्मान में खड़े होना चाहिए। लेकिन इसके लिए कोई कानूनी प्रतिबद्धता नही है। हालांकि लोगों से यह अपेक्षा नहीं रखी जाती है न्यूज रील, डॉक्यूमेंट्री या फिल्म के प्रदर्शन के दौरान राष्ट्रगान बजने पर वो खड़े हो क्योंकि ऐसे में राष्ट्रगान के प्रति सम्मान व्यक्त करने से अव्यवस्था पैदा हो सकती है और फिल्म के प्रदर्शन में बाधा उत्पन्न हो सकती है। इस पर चागला का कहना है कि मंत्रालय द्वारा यह एक औपचारिकता है न कि अनिवार्यता।

केरल के दो बच्चों को राष्ट्रगान के दौरान न खड़े होने पर उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया था। जिस पर 1987 में सुप्रीम कोर्ट के दो जजों के पैनल ने कहा था कि उन्हें फिर से स्कूल में एडमिशन दी जाए। हांला कि उन बच्चों का कहना है कि वे उस दौरान खड़े थे। उनका कहना था कि उनका धर्म उन्हें इस बात की इजाजत नही देता कि वो अपने ईश्वर के अलावा किसी और की अराधना में खड़े हो। कोर्ट ने कहा था कि ऐसा कोई नियम नहीं है कि किसी को राष्ट्रगान गाने के लिए बाध्य किया जाए। इसके अलावा राष्ट्रगान गाए जाने के दौरान जब कोई व्‍यक्ति सम्‍मानपूर्वक खड़ा है और गा नहीं रहा है तो यह राष्‍ट्रगान के अपमान की श्रेणी में नहीं आता।

हालांकि, कोर्ट ने इस बारे में कुछ नहीं कहा कि अगर कोई व्‍यक्ति राष्‍ट्रगान के दौरान खड़ा नहीं हो तो क्‍या यह अपमान माना जाएगा? फैसले के अंत में कहा गया था कि हमारा धर्म सहिष्‍णुता का पाठ पढ़ाता है और हमारा संविधान भी यही पाठ पढ़ाता है। इस भावना को कमजोर न पड़ने दें।

इस संबंध में एक व्यक्ति ने मद्रास हाइ कोर्ट में याचिका दी थी कि सिनेमा हॉल में फिल्म के दौरान राष्ट्रगान न बजाया जाए। इस के पक्ष में वकील की कहना था कि इस दौरान कुछ ही लोग खड़े हो पाते है, बाकी बैठे रहते है। इस पर हाइ कोर्ट ने कहा कि यह भ्रामक है। राष्ट्रगान बजाने की इजाजत भारत सरकार का आदेश देता है। यह कहते हुए कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी।  

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