कहने का मजदूर मगर इनके बैंक लाॅकर्स उगल रहे सोना
कहने का मजदूर मगर इनके बैंक लाॅकर्स उगल रहे सोना
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अहमदाबाद: अक्सर फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूर, चपरासी, सुरक्षा गार्ड आदि दो वक्त की रोटी बमुश्किल ही जुटा पाते हैं लेकिन क्या आपने विचार किया होगा कि एक ऐसा क्षेत्र भी है जहां फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूर भी करोड़पति हैं। जी हां, आखिर यह कैसे। यह आपके कौतूहल का विषय रहा होगा। दरअसल गुजरात सरकार द्वारा 4000 हैक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया है। यहां पर जमीन के स्थान पर इसके मालिकों को करोड़ों रूपए दिए गए हैं।

यह एक तरह से मुआवज़ा है। हालांकि इसके बाद भी यहां पर यही लोग इन फैक्ट्रियों में मशीन आॅपरेटर्स, फ्लोर सुपरवाईजर्स, सिक्योरिटी गार्ड और चपरासी के तौर पर कार्य करते हैं। दरअसल फोइल्स लिमिटेड कंपनी में काम करने वाले 300 कर्मचारियों में से लगभग 150 कर्मचारियों के बैंक खाते में करोड़ो रूपए की राशि है। 

हालांकि ये कर्मचारी अपनी आय के अन्य स्त्रोत भी प्रारंभ कर चुके हैं ऐसे में कंपनियों में कर्मचारियों को रेग्युलर रख पाना बहुत मुश्किल है। टाटा मोटर्स द्वारा भी प्लांट लगाया गया था। जिसमें यह बात सामने आई कि साणंद औद्योगिकरण का बड़ा हब बनकर सामने आया।

जीआईडीसी के अंतर्गत करीब 200 छोटी और बड़ी कंपनियों के यूनिट स्थापित किए गए। लोगों को भूमि अधिग्रहण के बदले में अच्छी खासी राशि दी गई है। जिसे इन लोगों ने कई तरह के निवेश में लगा दिया है। कुछ राशि इनके बैंक में भी है। हालांकि लोगों ने नौकरियां छोड़ना प्रारंभ कर दिया मगर फिर इन्हें वापस काम पर रखा गया। 

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