क्या संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को मिल पाएगी स्‍थायी सीट ?
क्या संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को मिल पाएगी स्‍थायी सीट ?
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दुनिया के ताकतवर देशों के समूह संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में स्‍थायी सीट हासिल करने पर भारत की काफी समय से निगाह लगी है. अमेरिका राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने हाल ही में भारत का स्‍थायी सीट की दावेदारी को लेकर खुलकर समर्थन किया था. इसके अलावा एक दिन पहले ही वुर्चअल समिट के दौरान ऑस्‍ट्रेलियाई पीएम स्‍कॉट मॉरिसन ने भी इस सीट के लिए भारत के दावे का समर्थन किया था. यूएनएससी में भारत की मौजूदगी का सवाल यहां पर इसलिए भी उठ रहा है, क्‍योंकि 17 जून को सुरक्षा परिषद की अस्‍थायी सीट के लिए चुनाव होना है. इसमें भारत की जीत तय मानी जा रही है. गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 10 अस्थायी समेत कुल 15 सदस्य देश होते हैं और आधे अस्थायी सदस्य देशों का हर वर्ष चुनाव किया जाता है. वहीं, दूसरी तरफ परिषद में स्‍थायी सीट को लेकर आशंका के बादल पूरी तरह से छंटे नहीं है. अमेरिकी राजनीति को बेहद करीब से देखने वाली और अमेरिका में भारत की पूर्व राजदूत मीरा शंकर की इस बारे में राय कुछ अलग है.

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इस मामले को लेकर उनका कहना है कि जिस तरह का बयान राष्‍ट्रपति ट्रंप ने इस बार दिया है उस तरह का बयान पहले भी अमेरिका की तरफ से दिया जाता रहा है, लेकिन इसकी सच्‍चाई हम सभी के सामने है. उनके मुताबिक, पूर्व राष्‍ट्रपति बराक ओबामा ने भी बयानों में सुरक्षा परिषद में भारतीय दावेदारी का समर्थन किया था, लेकिन उससे हुआ कुछ नहीं. उनकी निगाह में अमेरिका कहीं न कहीं इन बयानों के पीछे ये भी चाहता है कि इस परिषद के सदस्‍यों की संख्‍या न बढ़ाई जाए. दूसरी तरफ अमेरिका की राजनीति शुरुआत से ही इस तरह की रही है कि उनके दिए इस तरह के बयान हकीकत नहीं बन पाते हैं. इसलिए इस बार अमेरिका की तरफ से आए बयान को लेकर ज्‍यादा खुश होने की जरूरत नहीं है.

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इसके अलावा पूर्व राजदूत का ये भी कहना है कि सुरक्षा परिषद में भारत की स्‍थायी सदस्‍यता के लिए सबसे बड़ा रोड़ा चीन है. चीन के पास में वीटो पावर है जिसका उपयोग वो हर बार करता आया है. इस बार भी भारत के मुद्दे पर वो इसका इस्‍तेमाल करने से पीछे नहीं हटेगा. यही वजह है कि मीरा मानती है कि यूएनएससी में स्‍थायी सीट मिलना भारत के लिए अभी सपने जैसा ही है. उनका कहना है कि इस परिषद में चीन एकमात्र ऐसा देश है जो हर बार रोड़ा अटकाता आया है. इसलिए बिना चीन को साधे भारत का ये सपना सच होना काफी मुश्किल लगता है.

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