विश्वभर में कोयले के अभाव के बीच भारत में भी कोयला खतरा गहराने लगा है। देश के कई पावर प्लांट्स में 3 से 5 दिन का ही कोयले का स्टॉक बचा है। स्थिति को देखते हुए ये संभावना व्यक्त की जा रही है कि ये खतरा और गहरा सकता है। राजस्थान, तमिलनाडु, झारखंड, बिहार, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र जैसे प्रदेशो ने केंद्र सरकार से कोयला खतरे के कारण बिजली उत्पादन में कमी की शिकायत की है। हालांकि केंद्र सरकार ने कोयले के अभाव को पूर्ण रूप से नकार दिया है। केंद्र का कहना है कि कोयले की कमी अवश्य है, मगर वो आहिस्ता-आहिस्ता दूर कर दी जाएगी। बिजली की आपूर्ति पर प्रभाव पड़ने की आशंकाएं पूर्ण रूप से गलत हैं। आइए समझते हैं किस प्रकार कोयले से बिजली बनाई जाती है?
कोयले को लेकर ताजा संकट क्या है:-
दरअसल देशभर में कोयले से चलने वाले पावर प्लांट में कोयले के अभाव की खबरें आ रही हैं। देश में उत्पन्न होने वाली 70 फीसदी बिजली थर्मल पावर प्लांट से आती है। कुल पावर प्लांट में से 137 पावर प्लांट कोयले से चलते हैं, इनमें से 7 अक्टूबर 2021 तक 72 पावर प्लांट में 3 दिन का कोयला शेष है। 50 प्लांट्स में 4 दिन से भी कम का कोयला शेष है।
कोयले से बिजली कैसे बनती है?
* सबसे पहले खदान से आने वाले कोयले के छोटे-छोटे टुकड़ों को बारीक कर पाउडर की तरह पीसा जाता है।
* इस कोयले का उपयोग बॉयलर में पानी को गर्म करने के लिए किया जाता है। पानी गर्म होने के पश्चात् हाई-प्रेशर स्टीम में परिवर्तित हो जाता है, जिसका उपयोग टर्बाइन को घुमाने के लिए किया जाता है।
* ये टर्बाइन भी पानी के टर्बाइन की प्रकार ही होते हैं। फर्क केवल इतना होता है कि इन टर्बाइन को घुमाने के लिए भाप का उपयोग होता है।
* इन टर्बाइन को जनरेटर से कनेक्ट किया जाता है। टर्बाइन के घूमने से जनरेटर में मेग्नेटिक फील्ड प्रोड्यूस होती है तथा इसी से बिजली बनती है।
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