श्रीनगर: जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद का दामन छोड़कर भारतीय सेना में भर्ती हुए शहीद लांस नायक नजीर अहमद वानी को इस वर्ष मरणोपरांत अशोक चक्र दिया जाएगा. वे गत वर्ष नवंबर में शोपियां में आतंकियों के साथ हुए एनकाउंटर में शहीद हुए थे. उस दौरान सुरक्षा बलों ने 6 आतंकियों को ढेर कर दिया था.
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उल्लेखनीय है कि अशोक चक्र सैनिकों को दिया जाने वाला सबसे बड़ा शांति वीरता पुरस्कार है. शहीद लांसनायक को आतंकियों के विरुद्ध वीरता से लड़ने के लिए दो बार सैन्य पदक भी दिया जा चुका है. जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों का सामना करते हुए जान गंवाने वाले लांस नायक नजीर अहमद वानी की कहानी बहुत ही दिलचस्प है. नजीर अहमद वानी पहले खुद आतंकी थे, किन्तु जब उन्हें इस बात का अहसास हुआ तो उन्होंने आतंकी ताकतों से नाता तोड़ लिया और इसके बाद वे देश की सेवा करने के लिए भारतीय सेना में शामिल हो गए.
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शहीद वानी 2004 में प्रादेशिक सेना में भर्ती हुए थे. जिस एनकाउंटर में वे शहीद हुए, उस वक़्त वे 34 राष्ट्रीय रायफल्स का हिस्सा थे. इसके अलावा लांसनायक जम्मू और कश्मीर लाइट इंफैंट्री रेजीमेंट में भी शामिल रहे थे. वानी के सुपुर्द-ए-खाक में 500 से 600 ग्राम वासी शामिल हुए थे, वानी को सेना द्वारा 21 तोपों की सलामी भी दी गई थी.
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