अगर तब नेहरु ने केनेडी की बात मानी होती तो आज भारत...
अगर तब नेहरु ने केनेडी की बात मानी होती तो आज भारत...
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नई दिल्ली : भारत द्वारा न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में शामिल होने की कोशिश पर पूर्व विदेश सचिव महाराज कृष्ण रसगोत्र ने कहा है कि भारत को एनएसजी में शामिल होने के लिए इतनी मेहनत नहीं करनी पड़ती अगर जवाहर लाल नेहरु ने तब अमेरिकी राष्टपति जॉन एफ कैनेडी की बात मान ली होती। तब कैनेडी ने परमाणु परीक्षण में मदद की पेशकश की थी, जिसे नेहरु ने ठुकरा दी थी।

ऑब्जर्व रिसर्च फाउंडेशन के कार्यक्रम में सोमवार को रसगोत्र ने अपनी नई किताब लांच की, जिसका नाम ए लाइफ इन डिप्लोमेसी है। इसके विमोचन के मौके पर कहा रसगोत्र ने कहा कि चीन के 1964 में परमाणु परीक्षण करने से पहले अगर नेहरु ने यह कदम उठा लिया होता तो न केवल चीन से पहले बल्कि एशिया में पहला परमाणु शक्ति बनता।

इससे भारत चीन को 1962 का युद्ध करने से भी रोक पाता और 1965 में युद्ध से पहले ही पाकिस्तान के फील्ड मार्शल अयूब खान की साजिश को भी रोक देता। केनेडी ने तब अपने हाथ से लिखा पत्र अमेरिका के परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष को सौंपा गया था, ताकि वह राजस्थान के रेगिस्तान में भारतीय परमाणु वैज्ञानिकों की इस दिशा में अपने संगठन की ओर से मदद कर सकें।

पत्र में केनेडी ने साफ किया था कि वो नेहरु के परमाणु परीक्षण के खिलाफ होने की नीति से वाकिफ है, लेकिन उन्होने नेहरु सरकार से आग्रह किया था कि चीन के परीक्षण से नेहरु सरकार के लिए दबाव और खतरा बढ़ सकता है।

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