चिर स्थायी समस्या बनी IAS अधिकारियों की कमी
चिर स्थायी समस्या बनी IAS अधिकारियों की कमी
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नई दिल्ली : हमारा देश एक लंबे अर्से से प्रशासनिक अधिकारियों की कमी से जूझता आ रहा है. हालात अब खतरनाक स्थिति तक पहुँच गए हैं. 1 जनवरी 2016 तक 1470 आईएएस अधिकारियों का पद रिक्त होने की जानकारी मिली है. संसद की एक समिति ने कहा कि इस कमी को पूरा करने के लिए दशकों का वक्त लग जाएगा. अधिकारियों की कमी के कारण प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो रहा है.

गौरतलब है कि बुधवार को कार्मिक, लोक शिकायत, कानून एवं न्याय से जुड़ी स्थायी समिति ने संसद में जो रिपोर्ट पेश की. उसके अनुसार आईएएस अधिकारियों की कमी 1951 से चिरस्थायी समस्या बनी हुई है और अब यह स्थिति खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है. समिति ने संसद को बताया कि 6,396 स्वीकृत पदों में सिर्फ 4,926 पद ही भरे हुए हैं. समिति ने इन रिक्तियों को भरने और लाल बहादुर शास्त्री नैशनल अकेडमी ऑफ ऐडमिनिस्ट्रेशन (एलबीएसएनएए) की क्षमता का इस्तेमाल कर और अधिक आईएएस अधिकारियों को प्रशिक्षण देने की अनुशंसा की है.

समिति से मिली जानकारी के अनुसार जरूरी 1470 पदों में से 900 पद सीधी भर्ती कोटा से हैं और बाकी राज्य के पदोन्नति कोटा से जुड़े हैं. कार्मिक प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने समिति को बताया कि ये भर्तियां अचानक नहीं की जा सकती, क्योंकि हर साल सिर्फ 180 आईएएस अधिकारियों की ही प्रशिक्षण देने की क्षमता है और अगर बड़े स्तर पर एक साथ अधिकारियों की भर्ती कर दी जाए तो काडर मैनेजमेंट में परेशानी आ सकती है.

जबकि दूसरी ओर एलबीएसएनएए के निदेशक ने डीओपीटी के दावे के विपरीत समिति को बताया कि वह हर साल 180 से अधिक अधिकारियों को प्रशिक्षण दे सकता है. रिक्तियों की पूर्ति करने के लिए प्रशिक्षण की क्षमता को क्यों वजह के रूप में गिनाया जा रहा है. यह बात समझ से  परे  है.

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