नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका क्षेत्र में पहचाने जा रहे नकली कोविशील्ड टीके मिलने पर चिंता जाहिर की है। जी दरअसल हाल ही में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को असली और नकली टीके की पहचान के लिए कुछ गाइडलाइंस जारी कर दी है जो हम आपको बताने जा रहे हैं। इन गाइडलाइंस को पढ़ने के बाद लोग यह पहचान सकेंगे कि वे जो कोरोना वैक्सीन ले रहे हैं वो असली है या नकली?
आप सभी को बता दें कि केंद्र सरकार का मकसद इसके जरिए सेवा प्रदाताओं और निगरानी टीमों को किसी भी नकली कोविड-19 टीकों की पहचान करने में सक्षम बनाना और नकली टीकों को देश में नकली टीकों को रोकना है। आप सभी को हम यह भी बता दें कि देश में अभी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशिल्ड, भारत बायोटेक की कोवाक्सिन और रूसी टीका स्पूतनिक-वी, कोविड-19 टीकाकरण अभियान के तहत लोगों को लगाया जा रहा है। अब आइए जानते हैं अतिरिक्त सचिव मनोहर अगनानी के द्वारा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए जारी हुई गाइडलाइन।
*एक असली कोविशील्ड शीशी की बोतल पर गहरे हरे रंग में एसआईआई उत्पाद का लेबल शेड, उल्लिखित ट्रेडमार्क के साथ ब्रांड का नाम और गहरे हरे रंग की एल्यूमीनियम फ्लिप-ऑफ सील दिखाई देगी।
*एसआईआई लोगो लेबल के चिपकने वाली तरफ एक अलग कोण पर मुद्रित होता है, जिसे केवल उन कुछ चुनिंदा लोगों द्वारा पहचाना जा सकता है जो इसकी सटीक जानकारी जानते हैं।
*अक्षरों को अधिक स्पष्ट और पठनीय होने के लिए विशेष सफेद स्याही में मुद्रित करते हैं। *मापदंडों के अनुसार, पूरे लेबल को एक विशेष बनावट मिली है, जो केवल एक विशिष्ट कोण पर दिखाई देती है।
*कोवैक्सीन लेबल में नकल रोधी सुविधाओं में अदृश्य यूवी हेलिक्स (डीएनए जैसी संरचना) शामिल है, जो केवल यूवी लाइट में ही दिखाई देती है।
*स्पूतनिक दो अलग-अलग थोक निर्माण स्थलों से हैं इसी के चलते इन दोनों स्थलों के लिए दो अलग-अलग लेबल हैं हालाँकि सभी जानकारी और डिज़ाइन समान हैं, केवल निर्माता का नाम अलग है।
*सभी आयातित उत्पादों के लिए, अंग्रेजी लेबल केवल 5 एम्प्यूल पैक के कार्टन के आगे और पीछे उपलब्ध है, हालाँकि अन्य सभी ओर एम्प्यूल पर प्राथमिक लेबल सहित, रूसी में है।
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