तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला!
तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला!
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मृदु भावों के अंगूरों आज बना लाया हाला, प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊंगा प्याला, 
पहले भोग लगा लूं तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा, सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।। 
प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूूॅंगा हाला, एक पांव से साकी बनकर नाचूूॅंगा लेकर प्याला,

प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूॅंगा हाला, एक पांव से साकी बनकर नाचूॅंगा लेकर प्याला, 
जीवन की मधुता तो तेरे ऊपर कब का वार चुका, आज निछावर कर दूंगा मैं तुझ पर जग की मधुशाला।। 

लोकप्रिय कवि डाॅ. हरिवंश राय बच्चन की यह अमर रचना बच्चन की कालजयी रचना के नाम से जानी जाती है। डाॅ. बच्चन की इस कविता ने देशभर में ऐसा माहौल बनाया था कि नौजवान कवि सम्मेलन और उसमें डाॅ. बच्चन के पहुंचने की सूचना मिलते ही आयोजन स्थल की ओर पहुंच जाते। बच्चन की रचना को लेकर ऐसा सैलाब उमड़ता था जैसे कोई बड़ा आयोजन हो रहा हो। युवा बच्चन की रचना से बेहद प्रभावित थे। डाॅ. बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 को इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश में हुआ था।

हरिवंश राय बच्चन हिंदू कायस्थ परिवार से संबंधित थे। उनके पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव और माता का नाम सरस्वती देवी श्रीवास्तव था। बचपन से ही उन्हें बच्चन कहा जाता था। बच्चन का शाब्दिक अर्थ है बच्चा या संतान। हरिवंश राय बच्चन इस नाम से लोकप्रिय थे। 1926 में 19 वर्ष की आयु में उनका विवाह श्यामा बच्चन से हुआ। इनकी पत्नी श्यामा 14 वर्ष की थी। 1936 को श्यामा की टीबी रोग से मृत्यु हो गई। 5 वर्ष बाद बच्चन ने दूसरा विवाह किया।

1941 में बच्चन ने पंजाब की तेजी सूरी से विवाह किया। तेजी रंगमंच और गायन से संबंधित थीं। तेजी सूरी और डाॅ. हरिवंश राय बच्चन की भेंट एक कवि सम्मेलन में हुई थी। इस कवि सम्मेलन के बाद दोनों का विवाह हो गया। तेजी बच्चन से बच्चन दंपति को अमिताभ और अजिताभ दो पुत्र रत्न हुए। अमिताभ बच्चन एक लोकप्रिय अभिनेता हैं। जबकि अजीताभ अपने क्षेत्र में आगे हैं। तेजी बच्चन ने हरिवंश राय बच्चन द्वारा शेक्सपीयर के अनुवादित नाटकों में अभिनय किया।

हरिवंश इलाहाबाद और कैंब्रिज विश्विद्यालय में पढ़े। उन्होंने कायस्थ पाठशालाओं में ऊर्दू और कानून की शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य में एमए किया और कैंब्रिज विश्विद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। हरिवंश राय बच्चन कई वर्षों तक अंग्रेजी के प्राध्यापक भी रहे। उन्होंने आकाशवाणी पर कई कार्यक्रम भी दिए। 1955 में वे विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषा रहे।

बच्चन ने अपने पहले काव्य संग्रह के तौर पर तेरा हार की रचना की थी। उनकी कविताओं में मंदिर, मस्जिद और धर्म को लेकर भी कई प्रेरक बातों का उल्लेख था। बच्चन ने मधुशाला के अलावा मधुकलश, अग्निपथ, जनगीता, आदि की रचना की। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार 1968, सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार एफ्रो एशियाई सम्मेलन के कमल पुरस्कार, सरस्वती सम्मान, पद्यमभूषण अलंकरण से सम्मानित किया गया। बच्चन ने मध्यप्रदेश के महू और सागर में फौजी प्रशिक्षण प्राप्त किया था। उनके कंधे पर फीते लगे थे और उन्होंने लेफ्टिनेंट की रैंक भी हासिल की थी। 18 जनवरी वर्ष 2003 में उन्होंने अंतिम सांस ली।

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