कच्छी सिंधी घोड़े को मान्यता मिलने के बाद गुजरात में आयोजित हुई पहली 'हॉर्स रेसिंग' प्रतियोगिता
कच्छी सिंधी घोड़े को मान्यता मिलने के बाद गुजरात में आयोजित हुई पहली 'हॉर्स रेसिंग' प्रतियोगिता
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अहमदाबाद:  कच्छी सिंधी घोड़े की मान्यता के बाद, रेगिस्तान में पहली घुड़ दौड़ प्रतियोगिता आयोजित की गई. भारत में घोड़ों की मान्यता प्राप्त 7 नस्ल हैं जिसमें से 7वीं नस्ल के रूप में कच्छी सिंधी घोड़े को मान्यता प्रदान की गई है. गुजरात सरकार और केंद्र सरकार द्वारा नेशनल लाइव स्टॉक मिशन के तहत सहजीवन और रामरहीम कच्छी सिंधी अश्वशक्ति सहकारी समिति ने इस प्रतियोगिता का आयोजन किया था. 

वेकरीया के रेगिस्तान में पहली मर्तबा सरकार के साथ मिलकर घुड़ दौड़ का आयोजन किया गया जिसमें कच्छ के अतिरिक्त अन्य इलाके के कच्छी सिंधी अश्वारोहियों ने विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया. जिसमें रामरहीम कच्छी सिंधी अश्वशक्ति सहकारी समिति की प्रतियोगिता को बढ़ावा मिले, इसके लिए विशेष चुने हुए प्रतिनिधि और पशुपालन विभाग के निदेशक भी शामिल हुए थे. जिसमें, पहली दफा बन्नी की भैंस की तरह सिंधी कच्छी की घोड़े की नस्ल लेने के लिए एक मेला भी आयोजित किया गया था. वासण अहीर भी स्वयं भी घोड़े की सवारी करते हैं.

कच्छी सिंधी नस्ल के घोड़े कच्छ के अतिरिक्त राजस्थान के बाड़मेर में पाए जाते हैं. वर्तमान में इसकी तादाद 3136 है. इसके संरक्षण और संवर्धन के लिए, कच्छ के चरवाहों ने 2008 में रामरहीम कच्छी सिंधी अश्वशक्ति सहकारी समिति गठित की और कच्छ में जागरूकता बढ़ाने के लिए कच्छ में कई जगहों पर प्रत्योगिताएं आयोजित की गई, जहां कच्छी सिंधी नस्ल के घोड़ो का महत्व बढ़ा है. 

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