अहमदाबाद : देश में पहले से छिड़े पर्सनल लॉ के मुद्दे को गुजरात हाईकोर्ट ने और अधिक बल दे दिया है। एक केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एक समान नागरिक संहिता का मुद्दा छेड़ा है। जफर अब्बास नाम के एक शख्स ने अदालत से उस प्रावधान के तहत जवाब मांगा है, जो मुस्लिम समुदाय को एक से अधिक शादियाँ करने की इजाजत देता है।
जफर का यह मामला इसलिए प्रकाश में आया क्यों कि उसकी पहली बीवी ने IPC की धारा 494 के तहत उसके खिलाफ मामला दर्ज कराया था। धारा 494 कहता है कि किसी भी स्त्री या पुरुष को उसके पहले पति या पत्नी के होते हुए या बिना तलाक हुए किसी और से शादी करना कानूनन जु्र्म है, इसके लिए 7 साल की सजा और जुर्माना का प्रावधान है। लेकिन जफर ने अपने पक्ष में ये कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ उसे एक से ज्यादा शादी की अनुमति देता है।
इस दलील के बाद जफर को राहत तो मिली लेकिन साथ ही कोर्ट ने इस पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि एक से ज्यादा शादी की आज्ञा उस समय में दी गई थी जब समाज में युद्ध के कारण विधवाँए ज्यादा थी। लेकिन अब हालात अलग है और वर्तमान परिस्थति में यह बिल्कुल भी जायज नही है। कोर्ट ने यह भी कहा कि समय की मांग है कि यूनिफॉर्म सिविल कोट को लागू किया जाए। हांलाकि यह विधायिका का काम है।