केंद्र के लिए कड़ी चुनौती बना गुजरात चुनाव
केंद्र के लिए कड़ी चुनौती बना गुजरात चुनाव
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नई दिल्ली : गुजरात में विधान सभा के चुनाव का रंग अब चढ़ने लगा है, क्योंकि कल पहले चरण के चुनाव के नामांकन की आखिरी तारीख थी.इस बीच आज हार्दिक की प्रेस कांफ्रेंस में पाटीदार आंदोलन समिति के कांग्रेस साथ जाने के संकेतों ने भाजपा खासकर पीएम मोदी और अमित शाह की मुश्किलें बढ़ा दी है, क्योंकि अपने गृह राज्य में दोनों की साख दांव पर लगी है. ऐसे में गुजरात चुनाव केंद्र के लिए कड़ी चुनौती बन गया है.इसलिए केंद्र तीन मुद्दों को चुनाव तक लटकाने के मूड में है.

इसमें कोई दो मत नहीं कि इस बार गुजरात में बीजेपी को कड़ी टक्कर मिल रही है. इसी वजह से भाजपा भी थोड़ी भयभीत लग रही है. इसी कारण वह जीडीपी के ताज़ा आंकड़ों को जारी करने से परहेज कर रही है.बता दें कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिसर्च में दावा किया गया है कि वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6 फीसदी से नीचे रहने के आसार हैं. इसका चुनाव में इसका गलत असर न हो इसलिए इसे जारी करने से बचा जा रहा है.दूसरी तिमाही के आंकड़ों के सामने सबसे बड़ी चुनौती गुजरात का मतदान है.

बता दें कि दूसरा मुद्दा संसद के शीतकालीन सत्र को लेकर है .हर साल नवंबर के तीसरे हफ्ते में सत्र शुरू हो जाता है.लेकिन दिसंबर में गुजरात विधानसभा चुनावों को देखते हुए संसद के सत्र को प्रचार की अंतिम तारीख तक टाला जा रहा है. वहीं तीसरा मुद्दा संजय लीला भंसाली की बहुचर्चित फिल्म पद्मावती को लेकर है.इस फिल्म का पूरे देश में विरोध हो रहा है,क्योंकि फिल्म में रानी पद्मावती और अलाउद्दीन खिलजी के बीच दर्शाए गए प्रेम पर देश भर से राजपूत परिवारों ने आपत्ति उठाई है.गुजरात चुनाव के चलते ही शायद इस फिल्म की रिलीज को गुजरात चुनावों के प्रचार तक टालने के संकेत दिए गए हैं.

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