नई दिल्ली : भारत में असहिष्णुता के मुद्दे पर मचे बवाल के बीच मोदी सरकार के गृह मंत्रालय ने एक रिपोर्ट पेश की गई है, जिसमें कहा गया है कि देश में भले ही सांप्रदायिक घटनाओं के मामले बढ़े हो, पर इन घटनाओं में मरने वालों की संख्या कम हुई है। 2014 की तुलना में इस साल मरने वालों की संख्या घटी है। रिपोर्ट के अनुसार, 2014 में अक्टूबर तक दंगे या ऐसे सांप्रदायिक घटनाओं में मरने वालों की संख्या 90 थी, जब कि इस साल अब तक यह आंकड़ा 86 है। दूसरी ओर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाली घटनाएँ पिछले साल 561 हुई थी तो इस साल 630 हुई है।
वर्तमान सरकार का कहना है कि 2013 में युपीए के राज में 694 सांप्रदायिक घटनाएँ हुई थी जिसमें मुजफ्फरनगर जैसा बड़ा दंगा भी शामिल है और इसमें 65 लोगो की मौत हुई थी। गृह मंत्रालय का कहना है कि इस साल कोई बड़ी घटना नहीं हुई है। वहीं पिछले साल की सबसे बड़ी घटना सहारनपुर हिंसा थी, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी इसके अलावा 2013 में महाराष्ट्र के धूले और यूपी के मुजफ्फरनगर में दो बड़ी सांप्रदायिक घटनाएं हुई थी। इनमें 70 लोग मारे गए और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे।
दूसरी ओर रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अक्टूबर तक ऐसी घटनाओं में 1899 लोग घायल हुए जब कि पिछले साल 1688 लोग घायल हुए थे। इस रिपोर्ट को संसद के स्थायी सदस्यों को बाँटा भी गया था। रिपोर्ट में ऐसी घटनाओं मे अफवाह फैलाने के लिए सोशल मीडिया को जिम्मेदार माना गया है। इसमें फरीदाबाद और दादरी की घटना का भी जिक्र है, जिसे दो बड़ी घटनाओं में शामिल किया गया है।
गृह मंत्रालय की इस रिपोर्ट का पैमाना कुछ इस तरह है, जिस घटना में 5 की मौत और 10 लोग घायल हो वह बड़ी है। इसके अलावा 1 की मृत्यु और 10 घायल भी बड़ी घटना का कारण हो सकते है।