मोटिवेशन : इन सितारों ने कैंसर को हराया
मोटिवेशन : इन सितारों ने कैंसर को हराया
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कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो जाने पर बीमारी से ज्यादा इंसान पर उस बीमारी का खौफ हावी हो जाता है. शारीरिक रूप से इस बीमारी से जूझते हुए इंसान मानसिक तौर पर भी कमजोर होने लगता है और निराशा अपना काम करने लगती है. ज्यादातर लोग कैंसर से चल रही जीवन की जंग हार जाते हैं. मगर हम में से ही कुछ ऐसे भी है जिन्होंने कैंसर को हराया है. एक कैंसर रोगी के जीवन में कुछ भी आसान नहीं होता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ WHO) के अनुसार वर्ष 2012 में हुई दो लाख लोगों की मृत्यु का कारण कैंसर था. वर्तमान में दुनिया भर में 33 लाख कैंसर के रोगी जीवित हैं. बहरहाल आप भी मिलिए उन 5 भारतीय हस्तियों से जिन्होंने कैंसर के खिलाफ जंग में जीत हासिल कर जिंदगी का साथ निभाया.

युवराज सिंह: युवराज को 2012 में फेफड़ों के कैंसर स्टेज 1 सेमिनोमा (एक दुर्लभ ट्यूमर) की बीमारी का पता चला था. उन्होंने कहा कि जब वो 2011 में विश्व कप खेल रहे थे तो उनको सांस लेने में कठिनाई होती थी. संयुक्त राज्य अमेरिका में तीन बार कीमोथेरेपी करायी और साथ ही भारत में आयुर्वेदिक उपचार भी जारी रखा. युवराज ने कैंसर रोगी होने के अनुभवों को ‘ द टेस्ट ऑफ़ माय लाइफ ‘ किताब में लिखा. आज युवराज दुनिया भर के कैंसर रोगियों के लिए आदर्श है.

मुमताज: अभिनेत्री मुमताज ने 26 की उम्र में ही स्तन कैंसर से ग्रसित होकर अभिनय छोड़ दिया और कैंसर से लड़ाई लड़ी. यहां तक ​​कि कई किमो थैरपी से गुजरने के बाद भी इस महान अभिनेत्री ने अपना आकर्षण नहीं खोया है. ठीक होने के बाद उन्होंने सही आहार और दवा को नियमित लिया. मुमताज कैंसर सरवाईवल पर बनी 1 मिनट की यूनिग्लोब नाम डॉक्यूमेंट्री का भी हिस्सा रहीं.

अनुराग बसु: वर्ष 2004 में अनुराग बसु को रक्त कैंसर हुआ था. उनके ठीक होने की सम्भावना 50% ही थी. कैंसर से तीन साल तक लड़ाई लड़ने के बाद, उन्होंने लाइफ इन मेट्रो और गैंगस्टर जैसी फिल्मों का निर्माण किया.

मनीषा कोइराला: मनीषा कोइराला 42 साल की उम्र में 2012 में डिम्बग्रंथि यानि ओवेरियन कैंसर से पीड़ित हुईं. इसके लिए उनको सर्जरी करनी पड़ी और सफलतापूर्वक उनकी ओवरी को ऑपरेशन से हटा दिया गया. वह कैंसर की राजदूत (एम्बेसडर) हैं और लोगों तक इस ख़तरनाक बीमारी के बारे में जागरूकता पहुंचाने का काम कर रही हैं.

लीसा रे: मल्टिपल मायलोमा, एक दुर्लभ कैंसर (अस्थि मज्जा ) जो बोन मेरो में होता है, उसकी गिरफ्त में लीसा रे आ गयीं थी. एक वर्ष तक वो इस बीमारी से जूझती रहीं और 2010 में लीज़ा रे ने घोषणा की वह सेल प्रत्यारोपण का इलाज़ करवा रहीं हैं. इस अभिनेत्री ने सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ जीवन शुरू किया. लीसा रे भी कैंसर के लिए एक राजदूत हैं और जागरूकता फैलाती हैं और कैंसर की रोकथाम में लोगों की मदद करती हैं.

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