आज ही के दिन धरती पर अवतरित हुए थे महाराष्ट्र के यह प्रसिद्ध संत

महाराष्ट्र के सुप्रसिद्ध संत गजानन महाराज को शेगाँव जो कि अकोला से कुछ ही दूरी पर स्तिथ में माघ कृष्ण सप्तमी (1878) में बनकट लाला और दामोदर नामक दो व्यक्तियों ने देखा। एक श्वेत वर्ण सुंदर बालक झूठी पत्तल में से चावल खाते हुए 'गण गण गणात बोते' का उच्चारण कर रहा था। बताया जाता है कि 'गण गण गणात बोते' मंत्र का उच्चारण करने के कारण ही उनका नाम गजानन पड़ा। संत गजानन महाराज के अनुयायी महाराष्ट्र के साथ देश और विदेशों में भी बहुतायत में हैं.

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चमत्कारी महापुरुष थे 'गजानन महाराज'

गजानन महाराज के भक्तों की माने तो महाराज चमत्कारी महापुरुष थे। उनके कई चमत्कारों को भक्तों ने प्रत्यक्ष देखा है। एक बार महाराज आँगन कोट में भ्रमण कर रहे थे। तेज गर्मी के कारण उन्हें प्यास लगी। उन्होंने वहाँ से गुजर रहे भास्कर पाटिल से पानी माँगा, लेकिन उसने पानी देने से मना कर दिया। तभी महाराज को वहाँ कुआँ दिखा जो 12 वर्षों से सूखा पड़ा था। महाराज कुएँ के पास जाकर बैठ गए और ईश्वर का जाप करने लगे। जाप के तप से कुआँ पानी से भर गया। इस तरह बहुत से चमत्कार उनके भक्तों के बीच प्रसिद्ध है। 

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आमजन के साथ ही दर्शन करते है वीआईपी

संत श्री गजानन महाराज की समाधि महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के शेगाँव में स्थित है। बाबा श्री की जागृत समाधि को सितंबर 2019 में 109 वर्ष पूर्ण हो जाएँगे। समाधि स्थल पर प्रतिदिन लगभग 25 से 50 हजार लोग दर्शन करने आते हैं। मान्यता है कि भारत में एकमात्र ऐसा समाधि स्थल है जहाँ किसी भी वीआईपी के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है। सभी को लाइन में खड़े रहकर ही दर्शन करना होते है। शायद तभी वीआईपी लोग गजानन महाराज के दरबार में कम ही जाते हैं। 

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