उत्तरकाशी बस हादसा : बेटमा में एक साथ निकली 12 अर्थियां, अंतिम संस्कार के लिए जगह कम पड़ी
उत्तरकाशी बस हादसा : बेटमा में एक साथ निकली 12 अर्थियां, अंतिम संस्कार के लिए जगह कम पड़ी
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इंदौर। मध्यप्रदेश के बेटमा में जब 12 अर्थियां पहुंची तो वहां मौजूद जनसमुदाय की आंखें नम हो गईं। एकबारगी तो ऐसा लगा कि मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए सारा शहर ही उमड़ गया है। हर कोई नम आंखों से मृतकों को विदाई दे रहा था। मिली जानकारी के अनुसार उत्तरकाशी बस दुर्घटना में इंदौर के लोगों की मौत हो गई थी। दुर्घटना में मारे गए 22 लोगों में से 12 का अंतिम संस्कार गुरूवार को हुआ। मुक्तिधाम में करीब 12 अर्थियों के पहुंचने पर वातावरण गमगीन हो गया।

उल्लेखनीय है कि विशेष विमान से इन 22 शवों को इंदौर लाया गया। यहां से मृतकों को एंबुलेंस से बेटमा व धार के लिए रवाना किया गया। अंत्येष्टि के लिए राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान तक वहां पहुंचे। अधिकांश मृतक कुशवाह समाज के थे। उत्तराखंड सरकार ने मृतकों के परिजन को करीब 1 लाख रूपए और 50 हजार रूपए व 50 हजार रूपए देने की घोषणा की। कुछ परिवार तो ऐसे थे जिनमें एक साथ करीब 4 या इससे भी अधिक सदस्यों की मृत्यु हो गई थी।

ऐसा ही एक परिवार बेटमा का था दरअसल यहां के तीन दंपतियों की मौत हादसे में हो गई थी। मृतकों में बेटमा के रमेश और उनकी पत्नी सावित्री बाई कुशवाहा, सुखदेव कुशवाहा एवं पत्नी सुशीला बाई और बाबूलाल सादुदिया और पत्नी सावित्री बाई शामिल थे। अंत्येष्टि से पहले जहां लोग अपने परिजनों के शवों का इंतजार कर रहे थे वहां एक जिम्मेदारी कुशवाहा समाज के युवकों ने संभाल रखी थी। जिन्होंने इस बड़े दुख के बीच भी किसी शव को कुछ मिनिटों से ज्यादा घर में नहीं रखने दिया।

मौसम को देखते हुए यह पहले ही जरूरी था लेकिन इन युवकों ने अपनों के ही पीड़ा भरे विरोध को सहा और अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई। बड़े पैमाने पर लोग मृतकों के परिजन के लिए एकजुट हो गए। कुछ लोग ऐसे भी थे जो यहां अंतिम संस्कार के लिए विमान से लाए गए शवों में अपने परिचित का शव तलाशते रहे। ऐसे लोगों में तेजकरण भी शामिल था।

उसकी मां ने उसकी फोटो लेकर बताया कि उसकी नज़र धुंधली है मगर वह जानती है कि इन शवों में उसका पुत्र नहीं है। तेजकरण की मां रूकमणी बाई को अभी भी लगता है कि उसके पुत्र के कुशल होने की जानकारी उसे मिल जाएगी। उसके घर के बाहर उसके शव के लिए अर्थी की पूरी तैयारियां की जा रही थीं। दूसरी ओर कुछ लोग संतोषीबाई को मृतकों में तलाश रहे थे लेकिन वहां पर देपालपुर निवासी सायरा बाई का शव पहुंचा।

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