FILM REVIEW: एक 'माँ' की बेटी के प्रति ममतामयी व संघर्ष की कहानी को दर्शाती 'मातृ'
FILM REVIEW: एक 'माँ' की बेटी के प्रति ममतामयी व संघर्ष की कहानी को दर्शाती 'मातृ'
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डायरेक्टर: अशतर सैयद 
स्टार कास्ट: रवीना टंडन, मधुर मित्तल, दिव्या जगदाले, शैलेन्द्र गोयल, अनुराग अरोड़ा, रुषाद राणा 
अवधि: 1 घंटा 52 मिनट 
रेटिंग: 3 स्टार

एक बार फिर से बॉलीवुड की खूबसूरत व दिलकश अदाकारा रवीना टंडन अपनी फिल्म 'मातृ' को लेकर लौटी है जिसके लिए हम उन्हें सेल्यूट करते है. यह फिल्म एक प्रकार से उन भटके हुए नौजवानो के लिए करारा तमाचा भी है जो के रेप व बलात्कार के जैसा घिनौना कृत्य करके भी खुलेआम एक अभिशाप की तरह घूमते है वैसे भी देखा जाए तो अभिनेत्री रवीना टंडन ने अपने फ़िल्मी करियर में काफी शानदार जानदार फिल्मो के जरिये अपने दमदार अभिनय की छाप को छोड़ा है तथा अबकी बार रवीना एक महत्वपूर्ण व अहम मुद्दे के साथ लौटी है. आइए जानते हैं कैसी है यह फिल्म. 

कहानी: 

फिल्म की कहानी शुरू होती है राजधानी दिल्ली से जहां विद्या चौहान 'रवीना टंडन' एक स्कूल में टीचर के पद पर कार्यरत है उनकी एक बेटी भी है जिसका नाम है टिया चौहान 'अलीशा खान' विद्या अपनी बेटी का खूब ध्यान रखती है. फिल्म में विद्या के संबंध अपने पति रवि 'रुषाद राणा' से अच्छे नहीं है. विद्या व रवि रहते तो एक ही घर में लेकिन अलग-अलग कमरों में. कहानी में आगे नया मोड़ तब आता है जब एक रात टिया के एनुअल फंक्शन के बाद जब विद्या और टिया कार में बैठ घर की तरफ रवाना हो रहे होते है तभी मिनिस्टर गोवर्धन मलिक 'शैलेंदर गोयल' का बेटा अपूर्व गोयल 'मधुर मित्तल' अपने चार साथियों के साथ इनकी गाड़ी का पीछा करता है और मां-बेटी को किडनैप कर घर ले जाते हैं. इस दौरान यह पांचों ही शख्स माँ बेटी के साथ में दुष्कर्म की घटना को अंजाम देकर इन्हे पास के ही जंगल वाले वीरान इलाके में फेंक देते है जिसके बाद पुलिस इन माँ व बेटी को अस्पताल में लेकर जाती है. धीरे धीरे परिस्थति ठीक होने के बाद विद्या अपने व अपनी बेटी के साथ में घटित हुई इस घटना का बदला लेने के लिए इन पांचों ही रेपिस्टों आरोपियों को सजा दिलाने का मन बना लेती है तथा इस बीच फिल्म में और ना जाने क्या-क्या नए-नए ट्वीट्स हमे देखने को मिलते है इसके लिए आपको फिल्म देखने के लिए सिनेमाघर जाना होगा.       

निर्देशन:

फिल्म 'मातृ' के निर्देशक है निर्माता,डायरेक्टर व एडिटर अशतर सैयद जिन्होंने इस फिल्म की परिकल्पना को यथार्त के धरातल पर एक शानदार तरिके से उतारा है. फिल्म के द्वारा एक अहम और गंभीर मुद्दे की तरफ ध्यान आकर्षित किया गया है, जिसकी वजह से जागरुकता भी सामने आती है.  

अभिनय: 

फिल्म की कास्टिंग कमाल की है. रवीना ने एक मां के किरदार को बखूबी निभाया है. रवीना की आंखें अपने आप में ही बहुत सारा अभिनय कर जाती है, जिसे डायरेक्टर ने बेहतरीन तरीके से कैमरे में कैद किया है. वहीं स्लमडॉग मिलियनेयर से अपनी एक खास पहचान बनाने वाले मधुर मित्तल ने बेहतरीन किरदार निभाया है. अलीशा के साथ ही साथ फिल्म के अन्य कलाकारों का भी शानदार अभिनय रहा है. 

संगीत: 

फिल्म के संगीत के बारे में हम अगर बात करे तो फिल्म का संगीत और खास तौर पर बैकग्राउंड स्कोर कमाल का है. एक ही गाना है जिसे राहत फतह अली खान ने गाया है और वो बार-बार अलग-अलग सिचुएशन में आता है.  

देखा या नहीं?

पूर्व में फिल्म के ट्रेलर को देखकर ही कई सारे दर्शकों ने अपना मन इसे देखने या ना देखने का बना लिया होगा, फिल्म का डायरेक्शन अच्छा है और शूटिंग का तरीका लाजवाब है. लेकिन हमारा कहना है की आप एक बार फिल्म को जरूर देखे.  

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