जहाॅं आज भी मिलता है तलवारबाजी और ढाल के संचालन का प्रशिक्षण
जहाॅं आज भी मिलता है तलवारबाजी और ढाल के संचालन का प्रशिक्षण
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केरल। क्या आपने पैर ऊपर कर लोगों को काफी ऊॅंचाई तक उछलते कूदते हुए रणकौशल का प्रदर्शन करते देखा है। क्या आपने अतिप्राचीन काल से चली आ रही तलवारबाजी को उसी अंदाज़ में देखा है। आपने इस तरह के दृश्य फिल्मों और टेलिविजन पर प्रसारित होने वाले धारावाहिकों में जरूर देखे होंगे लेकिन यदि आपको वास्तविकता में ये दृश्य देखना होंगे तो आपको जाना होगा केरल के कल्लारीपयातु  के गुरूकुल।

जी हाॅं, यहाॅं वर्षों से विद्यार्थियों की ऐसी पौध तैयार की जा रही है जो कि तलवारबाजी में भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित कर रही है। जी हाॅं यह गुरूकुल संचालित करती हैं 75 वर्षीय मीनाक्षी अम्मा। मीनाक्षी अम्मा को 75 वर्ष की आयु में भी अपने गुरूकुल को लेकर सक्रिय देखा जा सकता है।

यहाॅं पर बच्चों को बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण दिया जाता है। बच्चे कभी हाथों में कोई अस्त्र लिए बिना और कभी डंडों के माध्यम से प्रारंभिक अभ्यास करते हैं बड़े होने पर उन्हें तलवारबाजी और ढाल के संचालन का प्रशिक्षण दिया जाता है। गौरतलब है कि इस कला को भगवान श्रीकृष्ण ने भी सीखा था। माना जाता है कि भगवान परशुराम ने इसकी शुरूआत की थी।

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