नई दिल्लीः केंद्र की मोदी सरकार ने किसानो की आय बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाओं को हरी झंडी दे रही है। इन योजनाओं में डेयरी प्रसंस्करण पर खासा फोकस है। इसी के अंतर्गत सात राज्यों में लगभग चार हजार करोड़ रुपये की लागत से दो दर्जन से अधिक परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। प्रसंस्करण के साथ दुग्ध उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में भी कारगर पहल की गई है। डेयरी क्षेत्र के विकास के लिए प्राइवेट क्षेत्र के साथ सहकारी क्षेत्रों को विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा।
दुग्ध प्रसंस्करण और उसके उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार के लिए डेयरी इंफ्रास्ट्रक्चर विकास निधि के तहत सात राज्यों के लिए 26 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इन परियोजनाओं पर कुल लगभग चार हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी। संगठित क्षेत्रों में दूध के प्रसंस्करण को बढ़ावा देने की दिशा में विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। डेयरी उत्पादों के निर्यात में बढ़ोतरी के लिए गुणवत्ता की सख्त जरूरत है, जिसके लिए डेयरी संयंत्रों और उन्नत प्रयोगशालाएं स्थापित की जा रही हैं।
शुद्ध दूध और उसके उत्पादों के लिए आधुनिक डेयरी संयंत्रों की स्थापना की आवश्यकता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पैठ बनाने को लेकर गुणवत्ता के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। दूध की उत्पादकता बढ़ाने, दूध की गुणवत्ता में सुधार करने और उसके उत्पादों को बेहतर व अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने के लिए सरकार ने कई विकास योजनाएं शुरु की हैं। इसमें जिला व राज्य स्तर पर सहकारी सोसाइटियों को खास तौर पर तवज्जो दी गई है। सरकार का लक्ष्य 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने की है।
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