दिवाली पर केवल 1 घंटा 23 मिनट है लक्ष्मी पूजा की अवधि, जानिए सामग्री और संपूर्ण विधि
दिवाली पर केवल 1 घंटा 23 मिनट है लक्ष्मी पूजा की अवधि, जानिए सामग्री और संपूर्ण विधि
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दिवाली का पर्व 24 अक्टूबर को मनाया जाने वाला है। यह पर्व सोमवार को है। आप सभी को बता दें कि दिवाली की शाम को मां लक्ष्मी व भगवान गणेश की विधिवत पूजा की जाती है। जी दरअसल ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। आपको बता दें कि दिवाली की रात को सर्वार्थ सिद्धि की रात माना जाता है। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं दीपावली की किस शुभ मुहूर्त में करें पूजा और जानें लक्ष्मी पूजन की विधि।

दीपावली 2022 पूजा के शुभ मुहूर्त - लक्ष्मी पूजा मुहूर्त शाम 06 बजकर 53 मिनट से रात 08 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। लक्ष्मी पूजन की कुल अवधि 01 घंटा 23 मिनट की है।

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लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल व वृषभ काल में - लक्ष्मी-गणेश पूजन प्रदोष काल में 24 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 43 मिनट से रात 08 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। वृषभ काल शाम 06 बजकर 53 मिनट से रात 08 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।


अमावस्या तिथि कब से कब तक-
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 24, 2022 को 05:27 पी एम बजे
अमावस्या तिथि समाप्त - अक्टूबर 25, 2022 को 04:18 पी एम बजे

दीवाली लक्ष्मी पूजा के लिये शुभ चौघड़िया मुहूर्त-
अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - 05:27 पी एम से 05:43 पी एम
सायाह्न मुहूर्त (चर) - 05:43 पी एम से 07:18 पी एम
रात्रि मुहूर्त (लाभ) - 10:30 पी एम से 12:05 ए एम, अक्टूबर 25
उषाकाल मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) - 01:41 ए एम से 06:28 ए एम, अक्टूबर 25

दिवाली के लिए पूजन सामग्री- मां लक्ष्मी की प्रतिमा (कमल के पुष्प पर बैठी हुईं), गणेश जी की तस्वीर या प्रतिमा (गणपति जी की सूंड बांयी ओर होनी चाहिए), कमल का फूल, गुलाब का फूल, पान के पत्ते, रोली, सिंदूर, केसर, अक्षत (साबुत चावल), पूजा की सुपारी, फल, फूल मिष्ठान, दूध, दही, शहद, इत्र, गंगाजल, कलावा, धान का लावा(खील) बताशे, लक्ष्मी जी के समक्ष जलाने के लिए पीतल का दीपक, मिट्टी के दीपक, तेल, शुद्ध घी और रुई की बत्तियां, तांबे या पीतल का कलश, एक पानी वाला नारियल, चांदी के लक्ष्मी गणेश स्वरुप के सिक्के, साफ आटा, लाल या पीले रंग का कपड़ा आसन के लिए, चौकी और पूजा के लिए थाली।

मां लक्ष्मी-गणेश पूजन विधि- सबसे पहले पूजा का संकल्प लें। इसके बाद श्रीगणेश, लक्ष्मी, सरस्वती जी के साथ कुबेर जी के सामने एक-एक करके सामग्री अर्पित करें। अब देवी-देवताओं के सामने घी के दीए प्रवज्जलित करें। इसके बाद ऊं श्रीं श्रीं हूं नम: का 11 बार या एक माला का जाप करें। अब एकाक्षी नारियल या 11 कमलगट्टे पूजा स्थल पर रखें। इसके बाद श्री यंत्र की पूजा करें और उत्तर दिशा में प्रतिष्ठापित करें। अब देवी सूक्तम का पाठ करें।

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