'केवल हिन्दुओं को मारना ही था मुस्लिम भीड़ का मकसद..', कोर्ट ने बताई 'दिल्ली दंगे' की सच्चाई
'केवल हिन्दुओं को मारना ही था मुस्लिम भीड़ का मकसद..', कोर्ट ने बताई 'दिल्ली दंगे' की सच्चाई
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नई दिल्ली: ‘नागरिकता संशोधन कानून (CAA)’ के विरोध में दिल्ली के शहीनबाग में हुए प्रदर्शन आप सभी को याद होंगे, महीनों तक चले इस प्रदर्शन के बाद दिल्ली में अचानक दंगे भड़क उठे थे। इस दंगे में कई पुलिसकर्मियों समेत 53 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। उस समय मीडिया ने इस दंगे को CAA समर्थक और इस कानून के विरोधियों के बीच संघर्ष बताया था। लेकिन, अब कोर्ट में इन दंगों की पूरी सच्चाई सामने आ रही है। 2 सालों तक दिल्ली दंगों में तमाम तथ्यों पर गौर करने के बाद कोर्ट ने माना है कि, यह पूरी हिंसा केवल और केवल हिन्दुओं को मारने और उनकी सम्पत्तियों को नुक्सान पहुंचाने के मकसद से की गई थी और भीड़ के निशाने पर केवल हिन्दू ही थे। दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगों को लेकर ‘आम आदमी पार्टी (AAP)’ के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन सहित 8 लोगों के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं। 

शनिवार (5 नवंबर) को हुई सुनवाई में अदालत ने तमाम तथ्यों को देखते हुए ये स्वीकार किया है कि ताहिर हुसैन और अन्य आरोपितों के निशाने पर हिंदु ही थे, और आरोपित, 'हिन्दुओं' को अधिक से अधिक नुकसान पहुँचाना चाहते थे। दरअसल, कड़कड़डूमा कोर्ट में दिल्ली दंगों में गोली लगने की वजह से जख्मी हुए शिकायतकर्ता अजय गोस्वामी के एक बयान के आधार पर मामले की सुनवाई चल रही थी। इस मामले में सुनवाई करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमचला ने AAP के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन, शाह आलम तनवीर मलिक, गुलफाम, नाजिम, कासिम, रियासत अली और लियाकत अली के खिलाफ IPC की धारा 307, 120 बी और धारा 149 के तहत आरोप निर्धारित किए हैं। इस दौरान अदालत ने कहा है कि सभी आरोपित केवल हिंदुओं को मारने और उन्हें नुकसान पहुँचाने के मकसद से हिंसा कर रहे थे। कोर्ट ने कहा कि, इस बात के भी पुख्ता प्रमाण हैं कि ताहिर हुसैन, शाह आलम, नाजिम, कासिम, रियासत और लियाकत ‘हिंदुओं को सबक सिखाने’ के लिए भीड़ को भड़का रहे थे। इस प्रकार, यह IPC की धारा 505 के तहत एक दंडनीय अपराध है। कोर्ट ने कहा कि वो सभी आरोपियों पर लगाए गए आरोपों के लिए केस चलाने का निर्देश देती है।

कोर्ट ने यह भी माना है कि सबूतों से यह पता चला है कि तमाम आरोपित हिंदुओं को निशाना बनाने, उन्हें मारने और संपत्तियों को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुँचाने में लिप्त थे। हिंदुओं पर अंधाधुंध फायरिंग यह स्पष्ट करती है कि यह भीड़ जानबूझकर हिंदुओं की हत्या चाहती थी। इनका ये कृत्य हिन्दू-मुस्लिम सद्भाव के विरुद्ध था। तत्कालीन AAP पार्षद ताहिर हुसैन के घर के आसपास कई लोग जमा हुए थे। उनमें से कुछ लोगों के पास हथियार, एसिड, पेट्रोल बम थे। ताहिर हुसैन ने खुद अपने घर में इन हथियारों को जमा करके रखने का प्रबंध किया था। 

बता दें, दिल्ली दंगों के पीड़ित अजय गोस्वामी ने खजूरी खास पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए कहा था कि मुख्य करावल नगर रोड पर पथराव और गोलीबारी में शामिल भीड़ ने उन्हें गोली मारी दी थी। उन्होंने यह भी कहा था कि गुलफाम और तनवीर उन पर अंधाधुंध गोलीबारी  कर रहे थे। बता दें कि CAA के विरोध में फरवरी 2020 में दिल्ली में हिन्दू विरोधी दंगे भड़क उठे थे। दंगे में मुस्लिम भीड़ ने मुख्य रूप से हिंदुओं को निशाना बनाते हुए फायरिंग, पेट्रोल बम, चाकू, तलवार, पत्थरबाजी सहित अन्य तरह से हमले किए थे, उस समय ताहिर हुसैन आम आदमी पार्टी (AAP) के पार्षद थे और उन्होंने अपने पद का दुरूपयोग कर दंगाइयों को हर तरह की मदद मुहैया कराई थी। इन्ही दंगों के दौरान IB अफसर अंकित शर्मा की 400 चाक़ू मारकर हत्या की गई थी, जिनकी लाश ताहिर हुसैन के GHAR के पास नाले में मिली थी। एक ओर जहाँ दंगाई भीड़ तमाम हथियारों और पेट्रोल बमों आदि से लैस थी, वहीं हिन्दू इस बात से बेखबर थे कि उनपर कोई हमला भी होने वाला है।   

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