UCC के विरोध में CPM ने आयोजित किया सेमिनार, लेकिन मुस्लिम महिलाओं को बोलने का मौका नहीं, क्यों ?
UCC के विरोध में CPM ने आयोजित किया सेमिनार, लेकिन मुस्लिम महिलाओं को बोलने का मौका नहीं, क्यों ?
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कोच्ची: शनिवार (15 जुलाई) को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) ने केरल के कोझिकोड शहर में समान नागरिक संहिता (UCC) के खिलाफ एक सेमिनार का आयोजन किया, लेकिन इस सेमिनार में मुस्लिम महिलाओं को इस मुद्दे पर बोलने की अनुमति नहीं दी गई। इस कार्यक्रम का उद्घाटन CPM नेता सीताराम येचुरी ने किया था, जिसमें कुल 28 वक्ता शामिल थे, मगर इनमे एक भी मुस्लिम महिला को वक्ता नहीं बनाया गया। इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए मशहूर मलयालम लेखिका डॉ। खदीजा मुम्थास ने कहा कि यह CPM का गलत फैसला था।

डॉ खदीजा ने बताया कि 'पीपुल्स सेमिनार' के आयोजकों ने उनसे संपर्क किया था, मगर उन्हें औपचारिक निमंत्रण नहीं भेजा, क्योंकि UCC के बारे में उनके कुछ विचार CPM के उलट थे। डॉ खदीजा ने कहा कि उन्होंने (आयोजकों ने) मुझसे कार्यक्रम से पहले एक बैठक के दौरान सेमिनार में बोलने की मेरी इच्छा के बारे में पूछा। जैसा कि मैंने उस समय अपना रुख बताया, तो उनकी प्रतिक्रिया सकारात्मक नहीं थी,  मुस्लिम महिलाओं को मुस्लिम पर्सनल लॉ के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

डॉ। मुम्थास ने आगे कहा कि, 'पीएम नरेंद्र मोदी ने UCC लागू करने की बात कही है।  उन्होंने कहा, मुस्लिम महिलाओं द्वारा सामना किए जाने वाले मुद्दे अभी भी एक वास्तविकता हैं। इस संदर्भ में, UCC पर चर्चा के लिए आयोजित सेमिनार में कम से कम मुस्लिम महिलाओं को वक्ता के रूप में तो शामिल किया जाना चाहिए था। 


महिला मुस्लिम वक्ताओं को आमंत्रित न करने का फैसला सही :-  CPM

वहीं दूसरी तरफ, CPM ने इस फैसले को सही ठहराते हुए कहा है कि UCC पर कार्यक्रम के लिए मुस्लिम वक्ताओं को आमंत्रित करना आवश्यक नहीं था। विधायक कनाथिल जमीला ने कहा कि, 'मंच पर मेयर डॉ। बीना फिलिप और महिला आयोग की अध्यक्ष एडवोकेट पी। सतीदेवी और पूर्व मंत्री पीके श्रीमती जैसी महिला प्रतिनिधि थीं। इसके अलावा, मुस्लिम महिलाओं की ओर से बात करने के लिए मुस्लिम समुदाय के नेता (पुरुषों का जिक्र) भी वहां मौजूद थे। बस काफी है।'

उन्होंने आगे कहा कि दर्शकों में सैकड़ों महिलाएं थीं और इसलिए UCC पर बोलने के लिए मुस्लिम महिलाओं को आमंत्रित करना अनिवार्य नहीं था। उन्होंने कहा कि, इस्लामी संगठन 'समस्था' को आमंत्रित किया गया था, जिन्होंने कहा है कि, वो CPM के साथ UCC का विरोध करेंगे। 'समस्था' के सचिव उमर फैजी मुक्कम ने कहा कि, 'जो कोई भी UCC के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया देगा, समस्था उनके साथ खड़ा होगा। हमारे राष्ट्रपति जिफरी मुथुक्कोया थंगल पहले ही यह बात कह चुके हैं। समस्था इस मामले में CPM के साथ खड़ी रहेगी।'

वहीं, इस पूरे घटनाक्रम पर मुस्लिम पर्सनल लॉ में सुधार की वकालत करने वाले NISA (कोझिकोड स्थित प्रगतिशील मुस्लिम महिला मंच) की  संस्थापक के वीपी ज़ुहारा का कहना है कि, CPM ने समस्था के नेताओं को खुश करने के लिए मुस्लिम महिलाओं को आमंत्रित नहीं किया। वीपी ज़ुहारा ने कहा कि, वे मुस्लिम महिलाओं को मंच पर आमंत्रित नहीं कर सकते, क्योंकि वे समस्त समस्था (केरल जेम-इयाथुल उलेमा) नेताओं को खुश करना चाहते हैं। अब हम भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के तहत मुस्लिमों को शामिल करने की मांग करते हैं। वहीं, लेखक डॉ। हमीद चेन्नमंगलूर ने भी 'पीपुल्स सेमिनार' में मुस्लिम महिलाओं की गैर-मौजूदगी के लिए समस्था के नेताओं की उपस्थिति को जिम्मेदार ठहराया।

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