कोरोना के प्रकोप के बीच दुनिया के दूसरे देश से भारत हर मोर्चे पर आगे रहा है. प्रति 10 लाख की जनसंख्या पर कोरोना के मरीजों की संख्या के हिसाब से देखें तो भारत पश्चिमी देशों से पीछे है. अगर कोरोना मरीजों की संख्या दोगुनी होने का हिसाब लगाया जाए तो भारत में पश्चिमी देशों की तुलना में ज्यादा वक्त लग रहा है. भारत में कोरोना के टेस्ट कम होने का आरोप भले लगाया जाता हो, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि भारत में 24 टेस्ट करने पर एक मरीज मिल रहा है. जबकि अमेरिका में 5 टेस्ट में ही एक मरीज मिल रहा है.
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इस मामले को लेकर आइसीएमआर के डाक्टर रमन गंगाखेड़कर के अनुसार दुनिया में सबसे बेहतर टेस्टिंग करने वाले देशों से भी भारत कहीं आगे हैं. उन्होंने कहा कि टेस्टिंग के मामले में जापान का सबसे अधिक उदाहरण दिया जा रहा है, लेकिन सच्चाई यह है कि जापान एक मरीज को ढूंढने के लिए 11.7 टेस्ट करता है. इसी तरह एक मरीज के लिए इटली औसतन 6.7 टेस्ट, अमेरिका 5.3 टेस्ट और ब्रिटेन 3.4 टेस्ट कर रहा है. वहीं भारत को एक मरीज ढूंढने के लिए औसतन 24 टेस्ट करने पड़ रहे हैं. इस तरह प्रति मरीजों की संख्या के हिसाब से भारत दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में कई गुना अधिक टेस्ट कर रहा है. डाक्टर गंगाखेड़कर ने कहा कि इसके अलावा हम कोरोना से अछूते इलाको में भी सर्दी-खांसी-जुकाम और सांस से संबंधित बीमारियों से ग्रसित लोगों का कोरोना टेस्ट कर रहे हैं.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि यदि पांच हजार और 10 हजार कोरोना के केस पहुंचने तक दुनिया के दूसरे देशों में किये गए टेस्ट से तुलना करें तो सिर्फ कनाडा भारत से आगे दिखता है. पांच हजार मरीज पहुंचने तक कनाडा 2,41,138 टेस्ट और 10 हजार पहुंचने तक 2,95,065 टेस्ट कर चुका था. जबकि अमेरिका ने 1,04,073 और 1,39,878 टेस्ट किये थे. इटली और ब्रिटेन इससे भी काफी पीछे रहा था. वहीं भारत ने इसके लिए 1,14,015 और 2,17,554 टेस्ट कर चुका था.
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