इस टीके के दम पर कोरोना से लड़ रहे कई देश
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भारत में जारी कोरोना के कहर के बीच जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में स्पेशल सेंटर के मॉलिक्यूलर मेडिसिन के प्रोफेसर गोबरधन दास ने कहा है कि बड़े पैमाने पर बीसीजी (बैसिलस कैलमेट गुयरिन ) टीकाकरण वाले देशों में दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में कोरोना वायरस से बेहतर प्रतिरोध होने की संभावना है. ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) की बीमारी से बचाने के लिए बीसीजी का टीका लगाया जाता है.

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इस टीके को लेकर दास ने यहां मीडिया को बताया कि कोरोना वायरस के लिए हमारे पास वर्तमान में टीका नहीं है, लेकिन कुछ लोग बीसीजी के साथ काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि स्पेन जैसे देशों में जहां टीकाकरण नहीं होता वहां, कोरोना वायरस से मरने वालों की दर अधिक है, जबकि पुर्तगाल में जहां टीकाकरण होता है, वहा मृत्यु दर काफी कम है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि उनसे पूछा गया कि क्या भारत जैसे देशों जहां बीसीजी टीकाकरण दिया जाता है, कोरोना वायरस के प्रसार से निपटने के लिए बेहतर साबित हो सकता है. दास ने कहा कि वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को कोरोना वायरस के लिए दवा और वैक्सीन की खोज करने में ध्यान केंद्रित करना चाहिए. भले ही वैक्सीन खोजने में तीन से चार महीने लग जाए. उन्होंने कहा कि भारत इस बीमारी के प्रसार को रोकने में अन्य देशों की तुलना में बहुत बेहतर कर रहा है. मोदी सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन की वजह से प्रसार को रोकने में मदद मिली है.

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