व्यापमं. के बाद संविलियन नियुक्तियां बनी सरकार के गले की हड्डी
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भोपाल : इन दिनों मध्यप्रदेश में नियुक्तियों में घोटालों की बात सामने आने से सरकार की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। पहले जहां व्यावसायिक परीक्षा मंडल में हुए भर्ती घोटाले में भाजपा के लिए परेशानियां हो गई हैं वहीं अब एक सरकारी और अर्द्धसरकारी संस्थाओं में वैध प्रक्रिया या पर्चियों पर की गई नियुक्तियों के मामले ने तूल पकड़ लिया। दरअसल कैबिनेट बैठक में तिलहन संघ सहित विभिन्न विभागों में किए गए संविलयन पर सवाल खड़े हो गए। दरअसल कुछ मंत्रियों ने इस मसले पर कहा कि इसमें की गई नियुक्तियों की जांच की जाना चाहिए।

अन्य विभागों में संविलियन होने पर सभी तरह के संविलियन की जांच भी की जाएगी। इस दौरान कहा गया है कि लगभग 2000 से अधिक संविलियन और आगे आने वाले 1000 संविलियन की वैधता की जांच की जा सकती है। जो कि आवश्यक है। अकेले तिलहन संघ के करीब 1200 लोगों द्वारा इस तरह का कार्य किया गया। जिसमें से आधे लोगों का संविलियन की जा चुका है।

इस बैठक में पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव, वन मंत्री गौरीशंकर शेजवार, खाद्यमंत्री विजय शाह महिला एवं बाल विकास मंत्री माया सिंह ने बैठक में अपने तीखे तेवर दिखाए और विरोध किया। मामले में कहा गया कि मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में नियुक्तियां की गईं। जिसमें यह बात सामने आई कि संविलियन केमसले पर फूंक- फूंककर कदम रखने चाहिए।

मामले में यह बात सामने आई है कि सहकारिता विभाग द्वारा इस तरह की पुष्टि कर संविलियन किया गया। इस दौरान संविलियन के तहत मप्र तिलहन संघ, नागरिक आपूर्ति निगम के कर्मचारी आदि शामिल हैं। तिलहन संघ के शेष 600 कर्मचारी और भूमि विकास बैंक के 250 कर्मचारी शामिल हैं। 

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