देशभर में कोरोना के मामले बढ़ते ही जा तरहे है. इसके प्रसार को रोकने के लिए सरकार हर संभव कोशिश कर रही है. वहीं अब केंद्र सरकार की रैपिड रिस्पांस टीम की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि लॉकडाउन से 15 दिन पहले ही इंदौर शहर में कोरोना वायरस की घुसपैठ हो चुकी थी. केंद्र सरकार की रैपिड रिस्पांस टीम ने जब शहर में हालात का जायजा लिया तो पता लगा कि कोरोना वायरस के पहले छह मरीज 8 से 11 मार्च के बीच ही इस महामारी की चपेट में आ चुके थे लेकिन इनमें 14 से 18 मार्च के बीच बीमारी के लक्षण सामने आए. किसी भी बीमारी का इनक्यूबेशन पीरियड छह दिन माना जाता है. वहीं इसका मतलब यह है कि वायरस से यह छह दिन पहले ही संक्रमित हो गए थे इसलिए संभवत: यह मरीज 8 से 11 मार्च के बीच वायरस के संक्रमण की चपेट में आए हैं।
गौरतलब ये है कि कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे के वजह से प्रशासन ने जिले में 23 मार्च से तीन दिन का लॉकडाउन घोषित किया था. लेकिन कोरोनावायरस के मरीज मिलते ही 25 मार्च से शहरी सीमा में कर्फ्यू लगा दिया गया था. केंद्र सरकार ने अपनी रैपिड रिस्पांस टीम को पिछले हफ्ते शहर भेजा था. टीम में एम्स भोपाल से एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अभिजीत पखारे, माइक्रोबायलोजी विभाग से डॉ. आनंद कुमार मौर्य और डॉ. परमेश्वर सत्पथी शामिल थे. उन्होंने शहर के अस्पतालों और वायरोलॉजी लैब का निरीक्षण कर सरकार को रिपोर्ट सौंपी है।
बता दें की शहर में 1 अप्रैल तक मिले पॉजिटिव केस के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है. तब इस बीमारी के केवल 75 मरीज मिले थे जिनमें 38 मरीज ऐसे थे जिनमें कोई लक्षण नहीं पाए गए थे. लेकिन पॉजिटिव मरीज के संपर्क में होने के वजह से उनके सैंपल लिए गए थे. शुक्रवार तक इस बीमारी के 249 मरीज मिले हैं जिनमें से 27 लोगों की मौत हो चुकी है. गौरतलब है कि स्थानीय अधिकारी अब तक ज्यादातर मरीजों में इस बीमारी का स्त्रोत पता नहीं कर पाए हैं. इसके साथ ही, ज्यादातर मरीजों की ट्रैवल हिस्ट्री भी नहीं मिली है. रिपोर्ट में संक्रमण से प्रभावित इलाकों में क्वारेंटाइन व्यवस्था को लेकर भी सवाल उठाया गया है. इसमें सुधार के लिए सुझाव भी दिए गए हैं. फिलहाल शहर के बाहर 12 जगह चिह्नित की गई हैं जहां लोगों को क्वारेंटाइन किया जा रहा है.
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