भारत में एक तरफ कोरोना का प्रकोप जारी है. दूसरी ओर टिड्डी दल किसानों के लिए मूसीबत बनता जा रहा है. हर बार की तरह तीसरे साल भी टिड्डियों ने अपना विस्तार किया है. भारत में इस जीव के पनपने की अनुकुल परिस्थिति मौजुद है. जिसकी वजह किसानों के लिए बड़ा खतरा फैदा हो गया है. वही, यह भारत के उत्तरी राज्य में कहर बरपाते हुए नेपाल तक पहुंच गई हैं और भारत-पाकिस्तान सीमा पर मरुस्थल में बड़ी संख्या में प्रजनन कर रही हैं। यह आने वाले साल में भारत के लिए खतरे के संकेत हैं। इनपर नियंत्रण में लगा तो अनाज का संकट पैदा होने के आसार हैं.
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यूएन की संस्था खाद्य एवं कृषि संगठन के जून में नई एडवाईजरी जारी की है. जिसमें बताया गया है कि आने वाले कुछ दिनों में नेपाल से टिड्डी दल वापसी करने वाला है. जिसमें ईरान और पाकिस्तान से आने वाले दल भी शामिल है. जुलाई के मध्य में होर्न ऑफ अफ्रीका से आने वाले टिड्डी दल भी इसी में जुड़ जाएंगे। इसे देखते हुए पूरे जुलाई में भारत समेत सूडान, इथियोपिया, सोमालिया और पाकिस्तान के हमले को लेकर हाई अलर्ट पर रहने को कहा गया है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि भारत सरकार के पूर्व एडवाइजर एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ सुशील बताया कि अगर लगातार तीसरे साल टिड्डी दल ऐसे ही हमला करता हैं तो इसे टिड्डी महामारी कहा जाएगा। पुराने आंकड़ों को देखें तो इस बार जून के आखिरी सप्ताह में टिड्डी दल ने दिल्ली-एनसीआर को पार किया। जोकि 1926-31 के बीच आई टिड्डी महामारी के बाद पहली दफा है।
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