मप्र : किसानों की आड़ में कांग्रेस-भाजपा एक-दूसरे पर बरसे
मप्र : किसानों की आड़ में कांग्रेस-भाजपा एक-दूसरे पर बरसे
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भोपाल: मध्य प्रदेश में सूखे पर चर्चा और किसानों को राहत देने के लिए गुरुवार को बुलाए गए विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में विपक्ष (कांग्रेस) और सत्ता पक्ष (भाजपा) में तीखी नोंक-झोंक हुई। हाल यह रहा कि दोनों दल एक-दूसरे को किसान विरोधी और किसान के नाम पर राजनीति करने वाला कहते रहे।

राज्य में सूखे की स्थिति और किसानों पर आए संकट पर चर्चा के लिए गुरुवार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। इस सत्र में चर्चा की शुरुआत होते ही कांग्रेस की ओर से सरकार पर लगाए गए आरोपों से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को गुस्सा आ गया और उन्होंने कांग्रेस पर घटिया राजनीति करने का आरोप लगा दिया।

चौहान ने कहा कि आरोप-प्रत्यारोप लगाने के कई मौके मिलेंगे, मगर यह समय किसानों को फौरी राहत देने का है इसीलिए यह सत्र बुलाया गया है। किसानों को आज राहत की जरूरत है, मगर कांग्रेस घटिया राजनीति कर रही है।

इसके बाद कांग्रेस की ओर से आरोप लगाया गया कि सत्ता पक्ष विधानसभा को राजनीतिक लाभ हासिल करने का मंच बना रहा है। कांग्रेस विधायक महेंद्र सिंह कालूखेडा ने जमीनी हकीकत बताते हुए कहा कि सरकार बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर देती है, मगर किसानों को लाभ नहीं मिलता। वहीं रामनिवास रावत ने किसानों को पिछले वर्षो की गई घोषणाओं का अब तक लाभ नहीं मिलने की बात कही।

कांग्रेस विधायक मुकेश नायक ने बिजली बिल वसूली के नाम पर किसानों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार कहती है कि बिजली के बिल माफ कर दिए गए हैं, कर्ज वसूली स्थगित कर दी गई है मगर किसानों के घर पहुंचकर बिजली बिल के नाम पर मोटरसाइकिल, ट्रैक्टर, साइकिल, पंखा आदि तक जब्त किया जा रहा है।

सत्ता पक्ष की ओर से विधायक अर्चना चिटनीस ने सरकार की ओर से किसानों को राहत देने के लिए उठाए गए कदमों का ब्योरा दिया और कहा कि सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि किसान उतना परेशान नहीं हुए जितने बुरे हालात हैं। सरकार की कोशिशों ने किसानों को काफी हद तक राहत दी है।

इसी तरह सत्ता पक्ष की ओर से केदारनाथ शुक्ला और यशपाल सिंह सिसौदिया ने सरकारी योजनाओं का हवाला दिया। शुक्ला ने सरकारी मशीनरी के कामकाज पर भी सवाल उठाए।

ज्ञात हो कि राज्य के किसान सूखे के चलते बेहाल हैं, बड़े पैमाने पर फसलों को नुकसान हुआ है और इसके कारण कई किसान आत्महत्या कर चुके हैं तो कई किसानों को तो सदमे ने निगल लिया है। बिगड़ते हालात को सुधारने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को हरसंभव मदद का एलान किया है।

राज्य मंत्री परिषद की मंगलवार को हुई बैठक में किसानों को मदद के लिए सात हजार करोड़ रुपये के अनुपूरक बजट को मंजूरी दे दी गई थी, इसे विधानसभा में पारित किया जाना आवश्यक है, इसीलिए गुरुवार को एक दिवसीय सत्र बुलाया गया है।

सत्र के एक दिन पहले रणनीति बनाने के लिए बुधवार को दोनों दलों के विधायक दलों की बैठक हुई। भाजपा ने जहां इस सत्र को पूरी तरह किसानों तक सीमित रखने का मन बनाया तो कांग्रेस ने किसानों की समस्या पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई जो गुरुवार को सदन में भी नजर आ रही है

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