'स्पेन से आया, कन्याकुमारी में परिवार से हुआ अलग, अब होगी 'हैप्पी एंडिंग'', अनोखी है इस गिद्ध की कहानी
'स्पेन से आया, कन्याकुमारी में परिवार से हुआ अलग, अब होगी 'हैप्पी एंडिंग'', अनोखी है इस गिद्ध की कहानी
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कन्याकुमारी: आज हम आपको बताने जा रहे है एक गिद्ध की कहानी। यह गिद्ध स्पेन से आता है। भारत के कन्याकुमारी में अपने परिवार से बिछड़ जाता है। 5 वर्ष पश्चात् अपनों से उसके मिलन की कवायद आरम्भ होती है। इसी क्रम में उसे बृहस्पतिवार (3 नवंबर 2022) को एयरलिफ्ट कर राजस्थान के जोधपुर लाया गया। यहाँ उसे माचिया सफारी पार्क में रखा जाएगा, जिससे उस तक अपने पहुँच सके। ​वैसे इस कहानी में मिलन वाली हैप्पी एंडिंग कब आएगी, यह किसी को नहीं पता। रिपोर्ट्स के अनुसार, सिनेरियस प्रजाति का यह गिद्ध 2017 में स्पेन से कन्याकुमारी आया था। जब गिद्धों का झुंड कन्याकुमारी पहुँचा तो साइक्लोन के कारण यह गिद्ध उड़ नहीं पाया था। तत्पश्चात, इसे उदयगिरी पार्क में रखा गया। इसके रहने के लिए अनुकूल जगह की तलाशी की जा रही थी। जोधपुर इसके लिए बेहतर स्थान पाया गया। जोधपुर में सिनेरियस प्रजाति के कई गिद्ध सर्दियों में आते हैं। मुख्य वन्यजीव वार्डन श्रीनिवास रामचंद्र रेड्डी ने कहा कि गिद्ध को ‘केरू’ साइट में छोड़ने से पूर्व जैविक पार्क में कुछ सप्ताह के लिए एक बड़े में रखा जाएगा, जो जोधपुर शहर के बाहर है।

केरू साइट में अन्य सिनेरियस गिद्ध भी रहते हैं। यहाँ उन्हें सरलता से भोजन मिल जाता है। सिनेरियस गिद्ध मूल तौर पर यूरोप के उत्तरी भाग एवं साइबेरियाई क्षेत्र से आते हैं। वे हिमालय के ऊपर उड़ते हैं तथा ईरान, पाकिस्तान और भारत के उत्तरी हिस्सों में आते हैं। वे शायद ही कभी तमिलनाडु जाते हैं, मगर कुछ वर्ष पहले उन्हें मोयार एवं कोठागिरी में देखा गया था। इन गिद्धों की प्रजातियाँ आहिस्ता-आहिस्ता लुप्त होती जा रही हैं। तमिलनाडु के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव सुप्रिया साहू ने कहा, “यह एक बहुत ही विशेष ऑपरेशन है। 2017 में रेस्क्यू किए जाने के पश्चात् लगभग 4 वर्षों तक इस पक्षी को पिंजरे में रखा गया था, मगर बीते वर्ष इसे फिर से बाहर निकालने की कोशिश की गई। लंबी दूरी तक उड़ने वाले पक्षी को पिंजरे में रखने का कोई मतलब नहीं है। उम्मीद है कि ओखी नाम के गिद्ध को एक नया परिवार मिल जाए।”

विशेषज्ञों के अनुसार, गिद्ध को उड़ान भरने के लिए हीट वेव की आवश्यकता होती है। साउथ का इलाका ठंडा होने के कारण वहाँ गर्म हवाओं का प्रभाव न के बराबर होता है। ऐसे में गिद्ध उड़ान नहीं भर पा रहा था। आपको बता दें कि गिद्ध को एयरलिफ्ट करने के लिए खास पिंजरा बनाया गया था। इस गिद्ध के साथ तमिलनाडु फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की टीम भी जोधपुर आई है। माचिया के वेटरनिरी डॉक्टर ज्ञान प्रकाश ने बताया कि यह टीम शुक्रवार (4 नवंबर 2022) को जोधपुर के समीप केरू में बने डंपिग यार्ड का सर्वे करेगी। पता लगाया जाएगा कि इस प्रजाति के गिद्ध यहाँ आ रहे हैं या नहीं। अगर 25 से 30 गिद्ध इस प्रजाति के मिलेंगे तो इसे भी यहाँ छोड़ा जाएगा, नहीं तो इसके लिए दूसरी जगह देखा जाएगा।

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