हर साल में 4 बार नवरात्र का पर्व बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है. यह पर्व मां दुर्गा की आराधना का पर्व होता है. ऐसे में इन नौ दिनों में देवी की आराधना करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. वहीं आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप नवरात्र के नौ दिनों में किन अलग-अलग रंग का प्रयोग कर अपनी सभी मनोकामनाओं को पूरा करवा सकते हैं. इन्हे आप कपड़े पहनने में, मिठाई में, भोजन में, वस्त्र चढ़ाने में इस्तेमाल कर सकते हैं. आइए जानते हैं.
प्रतिपदा तिथि का रंग - आप सभी को बता दें कि प्रतिपदा तिथि का रंग पीला है. जी दरअसल पीले रंग को पूजा-पाठ में काफी उपयोग में लिया जाता है.
द्वितीया तिथि- इसी के साथ दूसरी तिथि का रंग हरा होता है और यह रंग जीवन में प्रेम की अधिकता लाता है.
तृतीया तिथि का रंग - इस दिन का रंग भूरा है. यह रंग भ्रम के निवारण में सहायक मन जाता है.
चतुर्थी तिथि का रंग - इस दिन का रंग नारंगी है और यह ज्ञान, ऊर्जा, शक्ति, प्रेम और आनंद का प्रतीक माना जाता है.
पंचमी तिथि का रंग - इस दिन का रंग सफेद है जो शाांति, सदभाव और सादगी का प्रतीक माना जाता है.
षष्ठी तिथि का रंग - इस दिन का रंग लाल है और लाल रंग प्रेम, उत्साह और साहस का प्रतीक माना जाता है.
सप्तमी तिथि का रंग - सप्तमी तिथि का रंग नीला है और यह रंग सामाजिक क्षेत्र के लिए विशेष लाभदायक माना जाता है.
अष्टमी तिथि का रंग - इस दिन का रंग गुलाबी है और इस रंग को शारीरिक बल में वृद्धि का प्रतीक मानते हैं.
नवमी तिथि का रंग - इस दिन का रंग बैगनी है और इस रंग से जीवन में ओज की वृद्धि होती है.
आखिर क्यों मनाया जाता है चैत्र नवरात्र?