मोदी सरकार का सबसे बड़ा फैसला, कुपोषण की समस्या से मुक्त होगा भारत
मोदी सरकार का सबसे बड़ा फैसला, कुपोषण की समस्या से मुक्त होगा भारत
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नई दिल्ली: देश में कुपोषण की समस्या सबसे गंभीर समस्या बन चुकी है और इस समस्या का हल निकालने के लिए मोदी सरकार ने एक बड़ा फ़ैसला किया है। जी दरअसल केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह फ़ैसला लिया गया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत मिलने वाले चावल को अब पोषणयुक्त ( Fortified Rice) बनाकर लोगों को दिया जाएगा। आप सभी को बता दें कि मार्च 2024 तक चरणबद्ध तरीके से पूरे देश में ये योजना लागू कर दी जाएगी। आप सभी को हम यह भी जानकारी दे दें कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे में यह पाया गया है कि, देश में हर दूसरी महिला खून की कमी की शिकार है।

जी हाँ और देश का हर तीसरा बच्चा अविकसित या छोटे कद का है। केवल यही नहीं बल्कि भारत का हर चौथा बच्चा कुपोषण का शिकार है और देश का हर पांचवां बच्चा कमज़ोर है। वहीं ग्लोबल हंगर इंडेक्स में दक्षिण एशियाई देशों में भारत का स्थान 94वां है जो केवल अफगानिस्तान (99) से ऊपर है। अगर अनुमान को माने तो, देश में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की होने वाली 68% मृत्यु का कारण कुपोषण है। इसी के साथ कुपोषण के चलते होने वाली बीमारी , मृत्यु और उत्पादकता में कमी से देश को हर साल 7400 करोड़ रुपए का नुकसान होता है।

केवल यही नहीं बल्कि अविकसित बच्चे वयस्क होने पर स्वस्थ लोगों की तुलना में 20 फ़ीसदी कम कमाते हैं। जी दरअसल आयरन की कमी से देश को हर साल 1% जीडीपी का नुकसान उठाना पड़ता है। इसी को देखते हुए मोदी सरकार ने कुपोषण की समस्या का समाधान करने के लिए एक नई योजना बनाई है। जी हाँ और मार्च 2024 तक पूरे देश में अलग-अलग पोषण योजनाओं में मिलने वाले चावल को पोषणयुक्त बनाकर दिया जाएगा ।

कैसे पौष्टिक होगा चावल?- साल 2024 तक देश में चल रही किसी भी सरकारी योजना के तहत दिया जाने वाला चावल Fortify ही होगा। जी हाँ और चावल को पोषक तत्वों से लैस करने का मतलब है धान से चावल निकालते समय उसमें मशीन के ज़रिए आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन बी 12 और कुछ अन्य खनिज पदार्थों का मिलाया जाना, ताकि चावल और पौष्टिक हो जाए। केवल यही नहीं बल्कि इनमें प्रमुख रूप से खाद्य सुरक्षा क़ानून के तहत क़रीब 80 करोड़ लोगों को दिया जाने वाला चावल और मिड डे मील/आईसीडीएस स्कीम और राष्ट्रीय पोषण अभियान के तहत स्कूलों में बच्चों को परोसा जाने वाला चावल शामिल है।

आप सभी को बता दें कि इस योजना पर मार्च 2024 तक 4270 करोड़ रुपए ख़र्च किए जाएंगे और इसका पूरा भार केंद्र सरकार वहन करेगी। आपको पता हो सरकार ने पहले ही देश के 15 सबसे प्रभावित राज्यों के एक-एक ज़िले में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर ये योजना लागू करने का फ़ैसला किया था। हालांकि फिलहाल योजना 6 राज्यों के एक-एक ज़िले में प्रयोग के तौर पर चल रही है। वहीं दूसरी तरफ सूत्रों के मुताबिक़ ऐसे राइस मिलों की संख्या बढ़ाई जाएगी जिनमें चावल के फोर्टीफिकेशन की मशीन लगी हो। फिलहाल ऐसी मिलों की संख्या करीब 2650 है।

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