वैश्विक स्तर पर कोरोना महामारी से बचाव और उसके इलाज की खोज काफी तेजी से चल रही है. इसी क्रम में पिछले सप्ताह ‘सेल’ जर्नल में प्रकाशित एक शोध आलेख ने उम्मीद जगाई है. इसमें बताया गया है कि दक्षिण अमेरिका में पाया जाने वाले एक पशु ‘लामा’ के खून का एंटीबॉडीज कोरोना वायरस से लोगों का बचाव कर सकता है. इसके मुताबिक, लामा का एंटीबॉडीज इतना छोटा होता है कि यह वायरल प्रोटीन के रिक्त स्थानों में घुस सकता है. मानव एंटीबॉडीज से भी छोटा यह एंटीबॉडीज इस प्रकार से खतरे से बचाने में मदद कर सकता है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं ने बेल्जियम की चार वर्षीय लामा ‘विंटर’ पर यह अध्ययन किया है. उसके एंटीबॉडीज को सार्स और मर्स जैसे रोगों से लड़ने में कारगर माना गया है. इस कारण शोधकर्ता यह अंदाजा लगा रहे हैं कि ये एंटीबॉडीज कोविड-19 के खिलाफ भी काम कर सकते हैं. कम से कम ये सेल कल्चर में तो प्रभावी रहे हैं. शोधकर्ता अब इस संबंध में क्लीनिकल ट्रायल पर काम कर रहे हैं. गेंट यूनिवर्सिटी के वॉयरोलॉजिस्ट तथा अध्ययन के लेखक डॉ. जेवियर सेलेंस का कहना है कि ‘यदि यह काम करता है तो लामा विंटर प्रतिमा बनाने लायक है.’
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इसके अलावा शोधकर्ताओं का कहना है कि लामा में विशेष प्रकार के एंटीबॉडी की दो कॉपी से एक नया एंटीबॉडी बनता है, जो सार्स कोरोना वायरस-2 के प्रमुख प्रोटीन से मजबूती के साथ जुड़ सकता है. ऐसा पाया गया है कि ‘विंटर लामा’ का एंटीबॉडीज कोरोना वायरस के प्रोटीन से जुड़ कर उसे निष्क्रिय कर देता है. मतलब ये एंटीबॉडीज, जिसे ‘नैनोबॉडीज’ भी कहते हैं, कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भी मददगार हो सकता है, जिसने दुनियाभर में अभी तबाही मचा रखी है.
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