Budget expectation 2020: रिसाइक्लिंग इंडस्ट्री में कबाड़ धातुओं पर शुल्क घटाने की मांग की जा रही है
Budget expectation 2020: रिसाइक्लिंग इंडस्ट्री में कबाड़ धातुओं पर शुल्क घटाने की मांग की जा रही है
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उद्योग संगठन मटीरियल रिसाइक्लिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमआरएआई) ने सरकार से आगामी बजट में धातु कबाड़ पर आयात शुल्क हटाने का अनुरोध किया हुआ है. संगठन ने कहा कि धातु कबाड़ की घरेलू आपूर्ति कम होने के कारण से भार का द्वितीयक धातु क्षेत्र आयात पर निर्भर होता है. इसलिए आयात को बढ़ावा देने के लिए शुल्क हटाने की जरूरत है. धातुओं के कबाड़ पर अभी आयात शुल्क की मूल दर ढाई से पांच फीसदी तक है. 

कबाड़ के कारोबार में मजबूत वृद्धि की मांग की जा रही है. बता दें की संगठन ने कहा कि भारत का द्वितीयक धातु क्षेत्र आयातित कबाड़ पर बहुत निर्भर करता है. भारत घरेलू स्तर पर कबाड़ के अपर्याप्त सृजन की वजह से कई साल से इसका शुद्ध आयातक है, ऐसे में इसके आयात को बढ़ावा दिया जाना चाहिए . संगठन ने कहा है कि घरेलू स्तर पर जरूरत के 35 फीसदी की पूर्ति हो पा रही है. बाकी बचे 65 फीसदी जरूरत को आयात से पूरा किया जाता है.

एमआरएआई ने कहा कि कबाड़ के कारोबार में मजबूत वृद्धि से ये पता चलता है कि इसकी वजह से प्राकृतिक संसाधनों की बचत हो रही है. इससे कच्ची सामग्रियों और ऊर्जा का संरक्षण होगा और कार्बन उत्सर्जन कम होगा.उसने कहा कि सरकार से हम अनुरोध करते हैं कि धातुओं की रिसाइक्लिंग को प्राथमिक क्षेत्र का दर्जा मिले. यह टिकाऊ भविष्य की दिशा में कई फायदे मुहैया कराता है. संगठन ने कहा कि रिसाइकलिंग उद्योग देश में 80 लाख से एक करोड़ लोगों को रोजगार के अवसर भी प्रदान करता है. इसे लोगो को लाभ पहुंचेगा. 

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