नईदिल्ली। भारतीय विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा तरीका खोज लिया है जिसके अंतर्गत मस्तिष्क के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में न्यूराॅन की मदद करने वाली ग्लियल कोशिकाओं के ट्यूमर ग्लियोब्लास्टोमस की पहचान की जा सकेगी। इससे किसी भी ट्युमर को पहचानने के लिए एमआरआई या सीटी स्कैन की आवश्यकता नहीं होगी। इस हेतु भारतीय विज्ञान संस्थान द्वारा काफी प्रयास किए गए हैं। इस संस्थान ने माइक्रो बायोलाॅजी और कोशिका जीव विज्ञान के लिए काफी प्रयास किए हैं। इस विभाग के चिकित्सक कुमारवेल सोमसुंदरम के दल ने कहा कि हाल ही में एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि ट्यूमर से पीडि़त लोगों के खून के सीरम में विशेष प्रकार के प्रोटीन क्वांटिटी बढ़ा दी जाती है।
इस तरह से यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति को ट्यूमर है या नहीं। इसकी पहचान बेहद आसान हो जाती है।दरअसल सीरम रक्त का द्रव भाग होता है और यह रक्त का थक्का जमाने में सहायक होता है। सीरम में 3 प्रोटीनों की पहचान भी की गई है। जिसकी मात्रा ट्यूमर से पीडि़त मरीज के शरीर में पाई जाती है। जीबीएम से पीडि़त मरीज के सीरम में सीआरपी प्रोटीन की मात्रा भी बढ़ जाती है इस दौरान एलवाईएएम - 1 और बीएचई - 40 प्रोटीन का स्तर नीचे रहता है। इस तकनीक से केंसर की पहचान भी की जा सकती है।