ग्वालियर : देशभर में आज गुरूनानकदेव जी के प्रकाशपर्व का उल्लास बिखरा हुआ है। गुरूद्वारों में शबद गायन और कीर्तन की ध्वनि सुनाई दे रही है। सिख संप्रदाय के श्रद्धालु नगर कीर्तन और गुरू के अटूट लंगर में व्यस्त हैं, इसी बीच श्रद्धालु गुरूनानक देव जी की शिक्षाओं को और उनके वचनों को याद कर रहे हैं श्री गुरूग्रंथ साहिब का पूजन हो रहा है और गुरूद्वारों में रखे गए पवित्र शस्त्र और गुरू के स्थान पर लोग हाथों से पंखा कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि तलवंडी में कल्याणचंद मेहता के घर पर वर्ष 1469 में कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन गुरूनानक देव का जन्म हुआ था। उनकी माता का नाम तृप्ता था। तलवंडी में श्री गुरूनानक को ननकाना साहब कहा जाता है। हालांकि ननकाना साहब पाकिस्तान में है। पहले यह अविभाजित भारत में था। क्या आप जानते हैं कि भारत को हिंदुस्तान नाम किसने दिया। इसे हिंदुस्तान कहा गुरूनानक देव जी ने। जब 1526 में बाबर ने भारत पर हमला किया तो गुरूनानक जी ने इसे हिंदुस्तान कहा था। उनका कहना था कि
।। खुरासान खसमाना कीआ हिंदुस्तान डराईआ।।
श्री गुरूनानक देवजी सिख संप्रदाय के 10 गुरूओं में प्रथम गुरू रहे हैं। लगभग पूरे विश्व में भ्रमण के दौरान नानक देव के साथ अनेक रोचक घटनाएं घटित हुईं। इसके बाद 1539 में उन्होंने देह त्याग दी। भारतीय संस्कृति में श्री गुरू का महत्व आदिकाल से रहा है। गुरू को लेकर कबीर जी ने कहा था कि गुरू बिन ज्ञान न होए साधु बाबा कबीर जी का कहने का अर्थ था कि गुरू के लिए समर्पित हो जाऐं सभी दुख और आनंद आध्यात्मिक लक्ष्य गुरू से पूर्ण हो जाऐंगे।