नई दिल्ली: दिल्ली सरकार की शराब नीति के खिलाफ भाजपा सांसद प्रवेश साहिब सिंह ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। वहीं दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल की गई है, जिसमें राज्य सरकार को राष्ट्रीय राजधानी में मादक पेय और दवाओं के उत्पादन, वितरण और खपत पर रोक लगाने का निर्देश देने की माँग की गई है।
केजरीवाल सरकार की नई शराब नीति का जनता कर रही है विरोध। #SharabThekeKaJanmat pic.twitter.com/334s09Cj8U
— BJP Delhi (@BJP4Delhi) March 4, 2022
रिपोर्ट के मुताबिक, यह याचिका भाजपा नेता और शीर्ष अदालत के वकील अश्विनी उपाध्याय ने दाखिल की है, जिन्होंने तर्क दिया कि राज्य सरकार ने विगत सात सालों में शराब और नशीले पदार्थों की खपत और उत्पादन को प्रतिबंधित / नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने के बजाय, दिल्ली को ‘भारत की शराब राजधानी’ बना डाला है। उनका कहना है कि यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत लोगों के अधिकारों का उल्लंघन है। रिपोर्ट के मुताबिक, याचिका में याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि दिल्ली में कुल 272 नगरपालिका वार्ड हैं और 2015 तक राजधानी में सिर्फ 250 शराब की दुकानें थीं, यानी औसतन प्रत्येक नगरपालिका वार्ड में एक शराब की दुकान थी और 30 वार्ड ऐसे भी थे, जिसमे एक भी शराब की दुकान नहीं थी। जबकि, केजरीवाल सरकार ने नई शराब नीति के तहत, शराब की दुकानों की तादाद में भारी इजाफा करने की योजना बना रही है और यह हर नगरपालिका वार्ड में करीब तीन शराब की दुकानें होगी जो न केवल मनमाना और तर्कहीन है, बल्कि कानून के शासन के साथ-साथ अनुच्छेद 14 और 21 के तहत गारंटीकृत स्वास्थ्य के अधिकार का भी उल्लंघन है।
मोहल्ला सभा का वादा करके सत्ता में आया महाठग @ArvindKejriwal आज हर मोहल्ले में शराब के ठेके खोल रहा है। जिससे दिल्ली की जनता बहुत परेशान है
— Naveen Kumar Jindal ???????? (@naveenjindalbjp) March 4, 2022
स्वराज और गाँधी जी की बात करने वाला अब शराब का 'ठेके'दार बन बैठा है।#SharabThekeKaJanmathttps://t.co/05z49B0fSD pic.twitter.com/dovTEqrWLM
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार, राष्ट्रीय राजधानी को शराब की राजधानी बनाने पर आमादा है। अपनी इसी नीति के तहत वह न केवल रिहायशी इलाकों, राशन की दुकानों, मेन मार्किट बल्कि अस्पतालों, स्कूलों और यहाँ तक कि मंदिरों के पास भी शराब की दुकान शुरू करने के लिए लाइसेंस बाँट रही है। उच्च न्यायालय में यह मामला जस्टिस DN पटेल और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की बेंच के पास सूचीबद्ध था, जिसे मौखिक रूप से सुनने के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 4 जुलाई तक टाल दिया है।
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