मंगल पांडेय: वो क्रन्तिकारी, जिसके सामने जल्लाद भी हो गए थे नतमस्तक
मंगल पांडेय: वो क्रन्तिकारी, जिसके सामने जल्लाद भी हो गए थे नतमस्तक
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नई दिल्ली: 8 अप्रैल का दिन भारतीय इतिहास में सुनहरें अक्षरों में दर्ज है. आज ही के दिन 1857 में भारत के महान सपूत मंगल पांडे को  फांसी दे दी गई थी. उन्होंने देश के लिए जो कुछ भी किया उसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है. यहां तक कि आज का युवा उसे करने में सोच भी नहीं सकता है. आज उनकी पुण्यतिथि पर हम भारत के इस महान सपूत से जुड़ी कुछ ऐसी बातें शेयर करेंगे जो हर भारतीय को जानना जरूरी है...

- मंगल पांडे के नाम से ही अंग्रेजों में भय बैठ जाता था. आलम यह था कि उन्हें फांसी की सजा 10 दिन पहले ही दे दी गई थी. मंगल पांडे को 18 अप्रैल, 1857 को फांसी होनी थी लेकिन पांडे के रौब के चलते उन्हें 10 दिन पहले ही फांसी दे दी गई. 

- मंगल पांडे से न केवल अंग्रेज ख़ौफ़ खाते थे, बल्कि बैरकपुर जेल के जल्लादों ने भी उन्हें फांसी देने से इंकार कर दिया था. 

- मंगल पांडे एक बेख़ौफ़ क्रांतिकारी थे, जब अंग्रेजों ने उन्हें कारतूस इस्तेमाल करने को कहा था तब उन्होंने इसक इस्तेमाल से साफ़ इनकार कर दिया. तब सेना को आदेश दिया गया कि वह पांडे को गिरफ्तार कर लें. हालांकि सेना ने अंग्रेज अधिकारी के आदेश को मानने से इनकार कर दिया. 

- अंग्रेजों को फिरंगी के नाम से भी जाना जाता है. और इसे लेकर मंगल पांडे ने ही सबसे पहले नारा दिया था. उनका नारा था, 'मारो फिरंगी को'.

- 1857 की क्रांति के पहले नायक मंगल पांडे ही है. 

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