Feb 15 2016 04:41 PM
भिंड : राष्ट्रीय चंबल घडि़याल सेंक्चुरी में वन्यजीवन को प्रोत्साहित करने और घडि़याल और कछुओं की संख्या को बढ़ाने के लिए रिसर्च रेंजर डाॅ. ऋषिकेश शर्मा, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की संयुक्त टीम ने अटेर चंबल नहीं में 15 घडि़याल के बच्चों को छोड़ दिया। यही नहीं सेंक्चुरी में दल ने वाटागुर प्रजाति के 10 कछुए भी छोड़ दिए।
घडि़याल पर दल ने अलग तरह का टेग लगा दिया। जिसमें यह दर्शाया गया था कि वे पहले छोड़े गए अन्य घडि़यालों से बेहद अलग हैं। उल्लेखनीय है कि चंबल नदी घाटी में प्रारंभ किया गया यह विशेष अभियान है। जिसमें पहली बार 120 सेंटीमीटर लंबे 15 घडि़याल छोड़े गए।
इन घडि़यालों में 14 मादा और 1 नर हैं। घडि़याल मई वर्ष 2011 बैच के बताए जा रहे हैं। घडि़याल छोडने को लेकर यह कहा गया है कि आने वाले समय में 121 घडि़याल और छोड़े जाऐंगे। डाॅ. शर्मा द्वारा कहा गया कि गणना के तहत दल को चंबल सेंक्चुरी में घडि़याल, मगरमच्छ का कुनबा बढ़ता नज़र आया। इससे बढ़ी हुई संख्या की जानकारी लग सकती है।
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