आखिर क्यों अर्जुन बबूता ने नीरज को कहा प्रेरणास्रोत, जानिए क्या है दोनों का कनेक्शन
आखिर क्यों अर्जुन बबूता ने नीरज को कहा प्रेरणास्रोत, जानिए क्या है दोनों का कनेक्शन
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ओलिम्पिक चैम्पियन भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा से प्रेरित युवा निशानेबाज अर्जुन बबूता विश्व चैम्पियनशिप में दमदार प्रदर्शन करके ओलिम्पिक कोटा अपने नाम करना चाह रहे है। 23 वर्ष के अर्जुन ने कोरिया के चांगवन में चल रहे ISSF वर्ल्ड कप में भारत के प्रभावी प्रदर्शन में अहम भूमिका अदा करते हुए दो गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिए है। अर्जुन ने इस बारें में बोला है कि नीरज चोपड़ा और मैं चंडीगढ़ में एक ही कॉलेज में पढ़े हैं, वह हालांकि मेरे से एक वर्ष सीनियर रहा। लेकिन उसने 2021 में ओलंपिक खेलों में जो उपलब्धि भी अपने नाम कर लिया है वह मेरे जैसे खिलाडिय़ों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है और बेशक वह बहुत बड़ी प्रेरणा है।

उन्होंने यह भी बोला है कि खेल युवा खिलाड़ियों को रोजाना कड़ी मेहनत करना पड़ रहा है। लेकिन नीरज के एतिहासिक प्रदर्शन ने मेरे सहित युवा खिलाड़ियों की पूरी पीढ़ी को प्रेरित किया है जिनमें शीर्ष स्तर पर भारत के लिए पदक जीतने की भूख पहले से और भी ज्यादा बढ़ चुकी है। विश्व कप में 2 गोल्ड मेडल  जीतने की बदौलत पूरी संभावना है कि अर्जुन को काहिरा में आगामी विश्व कप के लिए भारतीय टीम में स्थान मिलने वाला है। अर्जुन ने बोला है कि अभी उनके जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य पेरिस ओलिम्पिक खेलों में पदक जीतना है। उन्होंने बोला है कि मैं 19 वर्ष का था जब मैं 2019 में तोक्यो ओलिम्पिक की क्वालीफाइंग स्पर्धा से चूक गए थे। इसकी पीड़ा और दर्द कष्टकारी थी लेकिन मैंने कड़ा अभ्यास करके सुनिश्चित किया कि मैं विश्व कप में पदक जीतूं।

अर्जुन ने बोला है कि अभी मेरा मुख्य लक्ष्य विश्व चैम्पियनशिप में शीर्ष प्रदर्शन करना ओर पेरिस ओलिम्पिक के लिए क्वालीफाई करना पढ़ा है। पंजाब के निशानेबाज अर्जुन ने बोला है कि वह 2008 बीजिंग ओलिम्पिक में अभिनव बिंद्रा के एतिहासिक गोल्ड मेडल की कहानी सुनते हुए बड़े हुए। बिंद्रा ओलिम्पिक खेलों में व्यक्तिगत गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले इंडियन थे। अर्जुन ने बोला है कि उनकी उपलब्धियों मुझे एक निशानेबाज के रूप में ढाला। उनके जैसे शानदार व्यक्तित्व ने 2018 में भारतीय खेलों को बदल दिया, जीवन और खेल के बारे में मुझे इतनी सारी चीजें सीखा दी है।

अपने शुरुआती वर्षों में अर्जुन को लेफ्टिनेंट कर्नल GS ढिल्लों (सेवानिवृत्त) ने ट्रेनिंग भी दे चुके है। ढिल्लों 1995 में बिंद्रा को भी निशानेबाजी के गुर सिखा चुके हैं। अर्जुन ने बोला है कि ढिल्लों सरकार की सीख ने मुझे वहां पहुंचाया जहां में अभी हूं। उन्होंने लंबे वक़्त पूर्व मुझे बोला था कि अगर मैं लगातार अच्छा प्रदर्शन करता हूं तो अगला अभिनव बिंद्रा बन जाऊंगा। उन्होंने मुझे अपने निशानेबाजी उपकरण तोहफे में भी दिए।

अर्जुन ने बोला है कि आस्ट्रिया के दिग्गज थॉमस फार्निक को मुख्य विदेशी राइफल कोच के रूप में बिलकुल सही वक़्त पर इंडियन टीम के साथ जोड़ा गया है। उन्होंने बोला है कि थॉमस सर का मौजूदा वर्ल्ड कप में मेरे प्रदर्शन में बहुत सकारात्मक प्रभाव देखने के लिए मिला है। खेल के लिए उनका प्यार, मार्गदर्शन के रूप में उनकी भूमिका शानदार है। अर्जुन ने कहा कि जॉयदीप सर (करमाकर) और सुमा (शिरूर) की भूमिका भी शानदार थी।

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