गुवाहाटी : असम के जंगलो से एक दिल दहला देने वाली खबर आ रही है जिसमे पर्यावरणविदों ने अपनी एक रिपोर्ट में 40 हाथियो की मौत का खुलासा किया है. साथ ही रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि हाथियों की मौत महज़ 100 दिनों के भीतर, अप्राकृतिक कारणों से हुई है. पर्यावरणविदों की रिपोर्ट के मुताबिक इन हाथियों की मौत ट्रेन से टकराने, बिजली के झटकों, खाई में गिरने, जहरीले पदार्थ के सेवन जैसे कारणों से हुई है.
हाथियों के झुंड लगातार खाना तलाशते हुए आये दिन रिहाइशी इलाको और किसानों के खेतो में खुस जाते है. जिस कारण इस जंगली जीव को इंसानो से भिड़ना ही पड़ता है. अन्य जीवों की तरह हाथियों के संरक्षण के प्रति कोई काम नहीं किया जा रहा है. हाल के आंकड़ों के अनुसार असम में करीब 500 हाथी मौजूद हैं. इन सभी हाथियों को राज्य के करीब 10, 967 वर्ग किमी के वन्य क्षेत्र में संरक्षित किया गया है. इतने बड़े वन्य क्षेत्र के महज पांच हिस्से ही नैशनल पार्क के रूप में संरक्षित किए गए हैं.
पर्यावरणविदों का कहना है कि राज्य में हाथियों के लिए बनाए गए फॉरेस्ट रिजर्व को नैशनल पार्क जैसी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. जंगलों के कटने से भी हाथियों के जीवन पर एक बड़ा खतरा पैदा हो गया है. हाथियों का शिकार हमेशा से इनकी बेशकीमती चमड़ी, हाथी दांत, और मांस के लिए होता रहा है.
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