हिंदू धर्म के अनुसार साल में प्रतिमाह एक पूर्णिमा आती है यानि प्रतिवर्ष 12 पूर्णिमाएं होती हैं। इस में कार्तिक मास में आने वाली पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा कहलाती है. इसे त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान की पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू धर्म में इसकी बहुत मान्यता है. कहते हैं कि इसी दिन भगवान विष्णु ने अपना पहला अवतार लिया था. वे मत्स्य यानी मछली के रूप में प्रकट हुए थे.
इस पूर्णिमा के दिन चंद्रमा ठीक 180 डिग्री के अंश पर होता है. इस दिन चंद्रमा से निकलने वाली किरणें काफी सकारात्मक होती हैं और यह किरणें सीधे दिमाग पर असर डालती हैं. इस दिन दीपदान करना शुभ माना जाता है. इस दिन पवित्र नदियों में दीपदान किया जाता है.
पूजा विधि
कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान करके पूरे दिन व्रत किया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की अराधना की जाती है. कई लोग इस दिन गंगा स्नान भी करते हैं, गंगा स्नान का कार्तिक माह में महत्व माना जाता है. इस अवसर पर पूरे दिन या कम से कम एक समय का व्रत जरूर करें. इस व्रत में नमक का सेवन बिल्कुल ना करें. श्रीसूक्त और लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ और हवन करें इससे देवी लक्ष्मी प्रसन्न होकर धन वर्षा करती हैं.
क्या करें इस दिन
पुराणों के अनुसार, यह दिन स्नान-दान के लिए श्रेष्ठ माना जाता है. इस दिन स्नान करने वाले जल में थोड़ा गंगा जल मिलाकर नहाना चाहिए और फिर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करनी चाहिए.
गंगा स्नान का है महत्व
यह दिन स्नान-दान के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान का अत्यंत महत्व बताया गया है. यदि गंगा नदी आसपास ना हो और वहां जाकर स्नान करना संभव ना हो तो सामान्य पानी में ही थोड़ा गंगा जल मिलाकर नहाने से भी फल प्राप्त होता है.
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