कोरोना के चलते 70 साल की परंपरा टूटी, राष्ट्रपति भवन में हुआ डिजिटल युग का आगाज़
कोरोना के चलते 70 साल की परंपरा टूटी, राष्ट्रपति भवन में हुआ डिजिटल युग का आगाज़
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नई दिल्ली: कोरोना महामारी के कारण पहले से स्थापित कई परंपराएं टूट रही हैं तो कई नई परंपराओं कि शुरुआत भी हो रही है. ऐसे ही राष्ट्रपति भवन में भी एक नई परंपरा की शुरुआत हुई. दरअसल, राष्ट्रपति भवन में गुरुवार को ऐसा कुछ हुआ जो इसके 70 वर्ष के इतिहास में आज तक कभी नहीं हुआ था. 26 जनवरी 1950 को डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने देश के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में राष्ट्रपति भवन में कार्यभार संभाला था.

जिसके बाद से आज राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने गुरुवार को सात राष्ट्रों के राजदूत/उच्चायुक्तों के परिचय पत्र डिजिटली यानि वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के माध्यम से स्वीकार किए. ऐसा कोरोना संकट की वजह से प्रतिबंधों के चलते करना पड़ा. डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया, सेनेगल, त्रिनिदाद और टोबैगो, मॉरीशस, ऑस्ट्रेलिया, कोट द’आइवोर (पुराना नाम आइवरी कोस्ट) और रवांडा के राजनयिकों ने डिजिटल लिंक के जरिए अपने दस्तावेज पेश किए.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने डिजिटल रूप से सक्षम परिचय पत्र पेश किए जाने को खास दिन करार दिया है. उन्होंने कहा कि "नई दिल्ली में राजनयिक समुदाय के साथ भारत के संपर्क में आज खास दिन है.” पहले योजना यह थी कि राजनयिक अपने-अपने दूतावास से परिचय पत्र प्रस्तुत करेंगे. किन्तु प्रोटोकॉल से बंधे समारोह का संचालन सही तरह से होना सुनिश्चित करने के लिए तमाम 7 राजनयिकों को विदेश मंत्रालय के जवाहर भवन हेडक्वार्टर ले जाया गया. यहाँ से सभी राजनयिकों ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए अपने कागज़ात पेश किए। 

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