जब इंडियन आर्मी के सामने पाकिस्तान ने रगड़ी थी नाक.., महज 13 दिनों में आज़ाद हुआ था बांग्लादेश
जब इंडियन आर्मी के सामने पाकिस्तान ने रगड़ी थी नाक.., महज 13 दिनों में आज़ाद हुआ था बांग्लादेश
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16 दिसंबर का दिन भारत के साथ ही उसके पड़ोसी देशों पाकिस्तान और बांग्लादेश के लिए भी अहम दिन है. ये दिन जहां भारत और बांगलादेश को गर्व से सिर ऊंचा करने का अवसर है, तो वहीं पाकिस्तान के लिए शर्मसार करने वाला है. भारत ने वर्ष 1971 में पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश नाम के एक अलग देश अस्तित्व में आया था, जिसे उस वक़्त पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था. 

भारत इस जीत का जश्न विजय दिवस के रूप में मनाता है. 50 वर्ष पूर्व आज ही के दिन पाकिस्तान दो टुकड़ों में बंट गया था. उसकी सेना ने इंडियन आर्मी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था. इस सरेंडर को दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ी सेना का सरेंडर भी माना जाता है. दोनों देशों के बीच युद्ध की शुरुआत पाकिस्तान के उस गुरूर के साथ हुई थी, जिसके मद में आकर उसने हिंदुस्तान के 11 एयरबेस पर हवाई हमला किया. यह शायद पहली बार था जब भारत की तीनों सेनाओं ने एक साथ जंग लड़ी. भारत ने पश्चिम में पाकिस्तानी सेना की हरकतों का तत्काल जवाब दिया और पाकिस्तान के करीब 15,010 किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया. पाकिस्तानी फ़ौज के तत्कालीन अध्यक्ष जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी के 93,000 सैनिकों के साथ, इंडियन आर्मी और बांग्लादेश की मुक्ति वाहिनी की संयुक्त सेना के समक्ष सरेंडर करने के बाद युद्ध ख़त्म हुआ था. जनरल एके नियाजी ने 16 दिसंबर 1971 को ढाका में सरेंडर के दस्तावेज पर दस्तखत किए, जिससे पूर्वी पाकिस्तान में बांग्लादेश का नए देश के रूप में उदय हुआ. बांग्लादेश के जन्म के साथ ही पाकिस्तान ने भी अपना आधा क्षेत्र गंवा दिया.

यह युद्ध महज 13 दिनों तक चला और इसे इतिहास के सबसे छोटे युद्धों में गिना जाता है. किन्तु इसका परिणाम पाकिस्तान को आज भी शर्मिंदा होने का अहसास कराता रहता है. भारत और पाकिस्तान के बीच यह युद्ध 3 दिसंबर 1971 से 16 दिसंबर 1971 तक चला था. इंडियन आर्मी ने पाकिस्तानी सेना को घुटनों पर लाकर उसके 93,000 सैनिकों को कब्जे में लिया और बांग्लादेश के 7.5 करोड़ लोगों को स्वतंत्रता दिलाई. 15,010 किलोमीटर किए जा रहे पूर्वी पाकिस्तान की बंगाली आबादी के नरसंहार को समाप्त करने के लिए इस युद्ध में भारत के 3000 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए. साथ ही पाकिस्तान के 8000 सैनिकों की जान गई. 

लेकिन इस दिन से एक दर्दनाक इतिहास भी जुड़ा हुआ है, जो आज भी दिल को कचोटता रहता है ..  वो ये कि इस युद्ध में भारत की सेना ने पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों और नागरिकों को गिरफ्तार किया था, जबकि 54 भारतीय सैनिक, PAK द्वारा पकड़े गए थे. पाकिस्तान द्वारा आत्म समर्पण करने के बाद भारत सरकार ने 93 पाकिस्तानियों को तो छोड़ दिया, लेकिन अपने 54 वीरों को वापस नहीं लिया, ये जवान आज भी या तो वहां की जेल में कैद हैं, या फिर प्रताड़नाएं सहकर शहीद हो चुके हैं.  इन 54 सैनिकों को आज भी देश में Missing 54 कहा जाता है. 1971 के युद्ध में शहदात देने वाले तमाम भारतीय रणबांकुरों और पाक द्वारा गिरफ्तार किए गए 54 वीर जवानों को नमन और श्रद्धांजलि. जय हिन्द जय भारत ...

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