हिंगोट युद्ध में बरसेंगे आग के गोले
हिंगोट युद्ध में बरसेंगे आग के गोले
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इंदौर: मध्य प्रदेश की औद्योगिक नगरी इंदौर के गौतमपुरा में वर्षो पूर्व शुरू हुई हिंगोट युद्ध परंपरा वर्तमान दौर में भी जारी है। दीपावली के अगले दिन गुरुवार को फिर हिंगोट युद्घ में दो दलों के सदस्य एक दूसरे पर आग से जलते गोलों (हिंगोट) से हमला कर जीतने की कोशिश करेंगे। वर्षो से चली आ रही परंपरा के मुताबिक दीपावली के अगले दिन शुक्ल पक्ष की प्रथमा को गौतमपुरा के हिंगोट मैदान में हिंगोट युद्घ होता है।

इस हिंसक युद्ध में दो दलों के बीच मुकाबला होता है। एक दल को तुर्रा तो दूसरे को कलंगी नाम दिया जाता है। इस युद्घ में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागी एक दूसरे पर बारुद से भरे हिंगोट से हमला करते हैं, इस हमले में कई लोगों के घायल होना आम बात है। 

पारंपरिक हिंगोट युद्ध की लेकर देपालपुर के करीब स्थित गौतमपुरा में लोगों में खासा उत्साह रहता है, यही कारण है कि इस इलाके मे दीपावली के पहले से ही तैयारी शुरू हो जाती है। हिंगोट एक फल होता है जो नारियल जैसा होता है। बाहरी आवरण कठोर होता है तो भीतरी गूदे वाला। खासियत यह है कि यह फल सिर्फ देपालपुर इलाके में ही होता है। 

हिंगोट को हथियार बनाने के लिए फल को अंदर से खोखला कर दिया जाता है, फिर कई दिनों तक इसे सुखाया जाता है। इस फल के पूरी तरह सूखने के बाद इसके भीतर बारुद भरी जाती है, तथा एक ओर लकड़ी लगा दी जाती है। युद्घ के दौरान जब इस फल के एक हिस्से में आग लगाई जाती है तो वह ठीक राकेट की तरह उड़ता हुआ दूसरे दल के सदस्यों को आघात पहुंचता है।

इस युद्ध में हिस्सा लेने वाले दलों के प्रतिनिधि पूरी तैयारी से पहुंचते हैं। जहां सुरक्षा के लिए हाथों में ढाल होती है तो सिर पर बड़ा से साफा (कपड़े की पगड़ी) बांधे रहते हैं। उसके बावजूद कई लोग घायल हो जाते हैं। 

गौतमपुरा थाने के प्रभारी हुकुम सिंह पंवार ने बुधवार को आईएएनएस को बताया है कि हिंगोट युद्ध यहां की परंपरा है। यह युद्ध जिस स्थान पर होता है, उसे हिंगोट मैदान के नाम से जाना जाता है। इस आयोजन के दौरान सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए जाते हैं। इस बार मैदान के चारों ओर जाली लगाई गई ताकि जलता हुआ हिंगोट दर्शकों तक न पहुंचे। 

इस आयोजन को लेकर गौतमपुरा में खासा उत्साह हैं, वहीं प्रशासन द्वारा इस युद्ध के दौरान कोई अप्रिय घटना न हो इसे रोकने के प्रयास किए गए हैं। आयोजन स्थल पर दो सौ से ज्यादा जवानों की तैनाती की जाएगी, साथ ही साथ चिकित्सकों का दल और एंबुलेंस भी मौजूद रहेगी ताकि घायलों को आसानी से समय पर उपचार मिल सके। 

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