तो इस वजह से 1 मार्च हो मनाया जाता है जीरो डिस्क्रिमिनेशन डे
तो इस वजह से 1 मार्च हो मनाया जाता है जीरो डिस्क्रिमिनेशन डे
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संयुक्त राष्ट्र एड्स कार्यक्रम (UNAIDS) द्वारा शून्य भेदभाव दिवस सेलिब्रेट किया जाता है. हर वर्ष 1 मार्च को ये दिवस सेलिब्रेट किया जाता है और इसकी शुरुआत 2014 में की गई थी. इसे एड्स कार्यक्रम के साथ जोड़ दिया जाता है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि एड्स को मिटाने के लिए महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव से लड़ना आवश्यक है.

विश्व में हर 3 महिलाओं में से एक महिला हिंसा के किसी न किसी रूप को झेल रही है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक  वर्ल्ड में 50 फीसदी से ज्यादा महिलाओं ने उनके विरुद्ध होने वाली हिंसा को लेकर शिकायत की थी. इसलिए, जागरूकता बढ़ाने के लिए यह दिवस अहम् है. शून्य भेदभाव दिवस सभी के अधिकारों को प्रोत्साहित करने और उन्हें चिन्हित करने के लिए सेलिब्रेट किया जाता है, चाहे फिर वो उम्र, लिंग, सेक्सुअलिटी, राष्ट्रीयता, जातीयता और रंग किसी भी आधार पर तय किया जाता है. इस दिवस को मनाए जाने का उद्देश्य बगैर किसी विकल्प के महिलाओं व लड़कियों को सम्मान के साथ जीवन जीने का अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के क्षेत्र में बराबरी के अवसर के लिए आवाज को उठाना होता है.

1 मार्च 2014 को हुई थी शुरुआत: हम बता दें कि शून्य भेदभाव दिवस की शुरुआत 1 मार्च 2014 को UNAIDS के कार्यकारी निदेशक द्वारा की गई ही, लेकिन इसके मनाए जाने का एलान UNAIDS द्वारा दिसंबर 2013 में विश्व एड्स दिवस पर अपने शून्य भेदभाव अभियान कार्यक्रम के उपरांत किया गया था. इस प्रकार ये दिवस UNAIDS के कार्यकारी निदेशक मिशेल सिदीबे द्वारा बीजिंग में एक बड़े इवेंट के साथ घोषित किया गया था.

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