ज्वालामुखियों के बीच मौजूद हिंगलाज माता के दर्शन को उमड़े 1 लाख हिन्दू, पाकिस्तान के 2% हिन्दुओं के लिए बेहद ख़ास है ये 'शक्तिपीठ'
ज्वालामुखियों के बीच मौजूद हिंगलाज माता के दर्शन को उमड़े 1 लाख हिन्दू, पाकिस्तान के 2% हिन्दुओं के लिए बेहद ख़ास है ये 'शक्तिपीठ'
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क्वेटा: दक्षिण-पश्चिम पाकिस्तान के ऊबड़-खाबड़ इलाकों, ढलानों और ज्वालामुखियों के बीच, हिंदू भक्त हर साल आशा से भरे मां हिंगलाज मंदिर की यात्रा पर निकलते हैं। एक गुफा में स्थित इस मंदिर के शिखर तक पहुंचने के लिए सैकड़ों पत्थर की सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। चढ़ते समय भक्त नारियल और गुलाब के फूल चढ़ाते जाते हैं। यह वार्षिक तीर्थयात्रा तीन दिनों तक चलती है और पूरे पाकिस्तान से हिंदुओं को आकर्षित करती है। हालाँकि, पाकिस्तान में फिलहाल हिन्दुओं की आबादी महज 2 फीसद ही बची है, जो आज़ादी के वक़्त 20 फीसद थी। इनमे से कई तो मार डाले गए, कइयों का इस्लाम में धर्मांतरण कर दिया गया, तो कुछ पलायन कर गए, वहीं जो बचे हैं, वो आज भी माँ आदिशक्ति के इस शक्तिपीठ पर हर साल श्रद्धा से शीश झुकाने जरूर आते हैं। 

 

उल्लेखनीय है कि, हिंगलाज मंदिर तीर्थयात्रा पाकिस्तान में सबसे बड़ा हिंदू त्योहार है, जो बलूचिस्तान के हिंगोल राष्ट्रीय उद्यान में आयोजित किया जाता है। इस वर्ष, तीर्थयात्रा शुक्रवार (26 अप्रैल, 2024) से सोमवार तक चली, जिसमें 100,000 से अधिक हिंदू शामिल हुए। हिंदुओं के खिलाफ कई तरह के अत्याचारों सहित कई चुनौतियों के बावजूद, वे हर साल तमाम कठिनाइयों को झेलते हुए भीषण गर्मी के मौसम में माता के दर्शन को जरूर आते हैं। 

बता दें कि, हिंगलाज मंदिर देवी मां के शक्तिपीठों में से एक है, माना जाता है कि यहीं पर माता सती के अवशेष गिरे थे। मंदिर का प्रबंधन वर्तमान में महाराज गोपाल द्वारा किया जाता है। यह तीर्थयात्रा सिंध प्रांत से प्रारंभ होती है, जो सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय करती है। प्रतिभागी मंदिर तक पहुंचने के लिए मकरान तटीय राजमार्ग का उपयोग करते हुए हैदराबाद और कराची जैसे शहरों से बसों द्वारा यात्रा करते हैं। कई लोग रेगिस्तान की धूल और गर्म हवाओं से खुद को बचाते हुए रेगिस्तानी इलाके में बच्चों और सामान के साथ पैदल यात्रा करते हैं।

 

तीर्थयात्रा के दौरान, भक्त रंग-बिरंगे कपड़े पहनते हैं और 'जय माता दी' और 'जय शिव शंकर' के नारे लगाते हैं। कुछ लोग बच्चे के लिए आशीर्वाद मांगने आते हैं, उनका मानना है कि मां के दर से कोई खाली हाथ नहीं लौटता। यात्रा के दौरान मंदिर को सजाया जाता है और बच्चों, विशेषकर शिशुओं को देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। श्रद्धालु हिंगोल नदी में भी स्नान करते हैं। हिंगलाज माता मंदिर के महासचिव वरसीमल दीवानी ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों के कारण भारतीय भक्तों के दर्शन में असमर्थता पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने संभावित आर्थिक लाभ और दोनों देशों के बीच लोगों से लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के अवसर का हवाला देते हुए पाकिस्तानी सरकार से भारतीय हिंदुओं को वीजा जारी करने का आग्रह किया। पाकिस्तान तीन शक्तिपीठों का घर है। 

 

हालाँकि, इस दौरान बलूचिस्तान के मुस्लिम भी हिन्दू श्रद्धालुओं की मदद करते हैं। बलोच मुस्लिम हिंगलाज माता को काफी मानते हैं और इस स्थान को 'नानी का हज' कहते हैं। बलोच मुस्लिमों का कहना है कि, पाकिस्तान ने उनकी जमीन पर अवैध कब्ज़ा कर रखा है और पाकिस्तानी सेना उनपर अत्याचार करती है, उनकी बच्चियों को उठा ले जाती है। ये शायद एक जैसे अत्याचार झेलने का ही परिणाम है, जो बलूच मुस्लिम, हिन्दुओं के करीब आ गए और कट्टरपंथ के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं। बता दें कि, ये बलूच लोग भारत में मिलने को भी तैयार हैं, उनके मुताबिक, भारत को वे बड़ा भाई मानते हैं.

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