नारी सशक्तिकरण :- समाज की आवश्यकता
नारी सशक्तिकरण :- समाज की आवश्यकता
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नारी सशक्तिकरण एक महत्वपूर्ण और अद्वितीय विषय है, जो समाज में महिलाओ की महत्वकांक्षा ,स्वाधीनता, और समानता का  अधिकार और स्वतंत्रता की दिशा मे  प्रगति की और प्रोत्साहित करता है। नारी सशक्तिकरण का मतलब है, नारियो को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से मजबूत बनाना, ताकि वे अपने अधिकारो का पूरी तरह से उपयोग कर सके ! और समाज  के विकास में सक्रिय भूमिका निभा सके !

प्राचीन काल में हम देखते है कि नारियो कि स्थिति समाज में उत्कृष्ट स्थान रखती थी। लेकिन समय के साथ परंपरागत, धार्मिक और सामाजिक प्रथाओ के कारण नारियों की स्थिति में कई परिवर्तन आए और वे पुरुषो की तुलना में कमजोर हो गई। लेकिन वर्तमान स्थिति को देखा जाए तो आज की नारी की स्थिति पुरुषो की तुलना में कमजोर नहीं है! आज की नारी पुरुषो के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है।

और यह संभव हुआ है, शिक्षा के माध्यम से महिलाओ को सक्षम बनाना, साक्षरता कार्यक्रम बढ़ाने से महिलाओं की साक्षरता में वृद्धि, समाज मे जागरुकता, आर्थिक स्वतंत्रता, सामाजिक सद्‌भावना जो नारियों के लिए समाज में समानता और सम्मान की भावना को बढ़ावा देने और संविधान में समानता के अधिकारों के लिए लड़ने की उर्जा और साहस प्रदान करते है।

नारी शक्ति समाज की आधुनिकीकरण और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एक समाज जिसमें महिलाएं सम्मानित और सक्षम होती है, वहा सभी  का विकास और समृद्धि संभव है। 

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